srajan jain

srajan jain Lives in Bhopal, Madhya Pradesh, India

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White इस दुनिया की चमक से दूर , उस सच्चाई के पास आया हु , मोह और माया का अंत है जहां , क्या राजा क्या रंक सभी एक है वहां, ये वो जगह है जहां सभी आते है , एक भाव , एक भक्ति , एक श्रद्धा लिए , कोई हार कर आता है कोई जीत कर , मगर आता जरूर है उसके पास , क्योंकि इस दुनिया की चमक से दूर , एक सच्चाई है जहां सभी को जाना है , जीते हुए या सांस थमने के बाद ।। _ सृजन जैन ©srajan jain

#मोटिवेशनल #sad_quotes  White इस दुनिया की चमक से दूर ,
उस सच्चाई के पास आया हु ,
मोह और माया का अंत है जहां ,
क्या राजा क्या रंक सभी एक है वहां,
ये वो जगह है जहां सभी आते है ,
एक भाव , एक भक्ति , एक श्रद्धा लिए ,
कोई हार कर आता है कोई जीत कर ,
मगर आता जरूर है उसके पास ,
क्योंकि इस दुनिया की चमक से दूर ,
एक सच्चाई है जहां सभी को जाना है ,
जीते हुए या सांस थमने के बाद ।।

_ सृजन जैन

©srajan jain

#sad_quotes

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#कविता #Tragicstory

#Tragicstory

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#कविता #yogaday  इक दिन सन्नाटे से गुजरे ,
बिसरे भटके राहों में ,
उजड़े उखड़े सपने बुनते ,
खिसयाते फिर हारों में ,
समय समय के बीज जो बोए,
हमने खुदके अपने खोए ,
रातों में ढूंढे सूरज को ,
चंदा से तो सुबह न होए ,
ओढ़ी चादर मक्कारी की ,
गलत सही ठहराते हुए ,
जिस दिन चमकी गलती खुदकी ,
बैठे रहे पछताते हुए ,
समय खिलाड़ी बहुत अजब है ,
सबका अपना किस्सा है ,
आज है मेरा कल किसी का ,
सबका अपना हिस्सा है ,
उधड़ी होकर चमड़ी बोली ,
अब न जख्म सह पाऊंगी ,
ठोकर खाने खुदको गवाने,
हिम्मत न फिर जुट पाएगी ,
उड़ती चिड़िया कैसे बुनले,
घोसले को आंधी में  ,
हम भी गुजरे होते दिन दिन ,
एक सफलता भुनाने में ,
इक दिन सन्नाटे से गुजरे ,
बिसरे भटके राहों में ,
उजड़े उखड़े सपने बुनते ,
खिसयाते फिर हारों में ।।

_ सृजन जैन

©srajan jain

#yogaday

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#शायरी #MutualBond  अब जब है ही नही , तो क्या खोजोगे आप,
अच्छाइयां भी आजकल, समीकरण देखकर आती है ।।

_ सृजन जैन _

#MutualBond

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#शायरी #MyDiwali  घड़ी बदल जाएगी , वक्त पलट जाएगा , 
जब तेरा असली मुकद्दर, तुझसे टकराएगा ,
अपनी स्याही को खाली न होने देना दोस्त ,
ये कलम ही एकदिन तेरा मंज़र सजाएगा।।

_ सृजन जैन _

#MyDiwali

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#शायरी  तुम कही भी इश्क फरमाओ , तुम्हे कब रोका है  ,
तुम भूल भी जाओ , तुम्हे कब  रोका है,
हमारी जहमते दिखी ही नही तुम्हे कभी ,
अब तुम लाख इल्जाम भी लगाओ, तुम्हे कब रोका है ।।

_ सृजन जैन _

©srajan jain

तुम कही भी इश्क फरमाओ , तुम्हे कब रोका है , तुम भूल भी जाओ , तुम्हे कब रोका है, हमारी जहमते दिखी ही नही तुम्हे कभी , अब तुम लाख इल्जाम भी लगाओ, तुम्हे कब रोका है ।। _ सृजन जैन _ ©srajan jain

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