G. K. Sharma

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मैं न बनवा के कहीं, ताजमहल जाऊँगा बस यहाँ छोड़ के कुछ गीत-ग़ज़ल जाऊँगा ज़ीस्त में बर्फ़ के टुकड़े सा पड़ा हूँ मैं तो उम्र की धूप चढ़ेगी, तो पिघल जाऊँगा

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White नादाँ हैं वो लोग जिन्हे, अपनी माँ पर अभिमान नहीं है माँ की गोद से अधिक सुरक्षित, दुनिया में स्थान नहीं है ©G. K. Sharma

#शायरी #mothers_day  White नादाँ हैं वो लोग जिन्हे,                        अपनी माँ पर अभिमान नहीं है
माँ की गोद से अधिक सुरक्षित,                       दुनिया में स्थान नहीं है

©G. K. Sharma

#mothers_day

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#शायरी  मतलब के लिए मीठा बनना नहीं आता है
 तुझ-सा ये हुनर मुझको दुनिया नहीं आता है
  आज़ाद-सा इक दरिया मैं ख़ुद को समझता हूँ
 मुझको किसी सागर में मिलना नहीं आता है

©G. K. Sharma

# मन के दो मौसम

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#शायरी

# जुदाई

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#शायरी

# मन के दो मौसम

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#शायरी #मन  ख़त का मज़मून तो अधूरा था 
अश्कों से तर मगर वो पूरा था 

आँसुओं का लिखा मैं पढ़ लूँगा 
उसको मुझ पर यक़ीन पूरा था

©G. K. Sharma

#मन के दो मौसम

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#शायरी  इस जमाने ने तोड़ डाला है 
हमने जब-जब भी दिल उछाला है

 हाथ में जो हमारे प्याला है
 सिर्फ़ इसने हमें सँभाला है 
 
काम लो तुम दिमाग़ से यारों 
दिल तो नादाँ है भोला-भाला है 

तुम सा कोई नहीं मिला हमको
 हमने सारा जहाँ खँगाला है 

आज बस इश्क़ ही किया हमने
 काम बाक़ी का कल पे टाला है

©G. K. Sharma

# मन के दो मौसम

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