White थोड़ा सोचूं फिर एक बात लिखूं, जज़्बात लिखूं या फिर हालात लिखूं।
लफ़्ज़ों में छिपी जो तस्वीरें हैं, उनमें अपने दिल की कायनात लिखूं।
ख़्वाबों के रंगों से सजा दूं पन्ने, या हकीकत के दागों की सौगात लिखूं।
हर बात में एक कहानी बसी है, क्या तेरा ज़िक्र या अपनी बात लिखूं?
थोड़ा सोचूं फिर एक बात लिखूं, जज़्बात लिखूं या फिर हालात लिखूं।
दिल के समंदर से उठा कुछ लफ़्ज़, तूफान लिखूं या फिर जज़्बात लिखूं।
चमकते सितारों की कहानी कहूं, या टूटते सपनों की सौगात लिखूं।
ख़ुद को बयां करूं इस स्याही में, या दुनिया के नक़्शे की बात लिखूं।
थोड़ा सोचूं फिर एक बात लिखूं, जज़्बात लिखूं या फिर हालात लिखूं।
दुनिया को देखूं तो दर्द ही दिखे, चाहूं तो खुशियों की सौगात लिखूं।
सच है मगर फिर भी मुश्किल बहुत, सोचूं कि इस दिल की औकात लिखूं।
हर शख्स उलझन में जीता रहा, इस दौर की कैसी मैं कायदात लिखूं।
थोड़ा सोचूं फिर एक बात लिखूं, जज़्बात लिखूं या फिर हालात लिखूं।
चुपचाप जो दिल में दबा है कहीं, उस राज़ को खोलूं या सौगात लिखूं।
बेचैनियों का कोई हिसाब लिखूं, ख़ुशियों का झूठा सा नक़ाब लिखूं।
जो गुज़री है मुझ पर, वही कह दूं, या औरों के किस्सों से बात लिखूं।
©"सीमा"अमन सिंह
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