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White दवा जब दर्द बन जाए ,जताना पड़ता है हकीम की नादानी को ,बताना पड़ता है नशा न हो मगर लड़खड़ा जाते है हम शराब के इकबाल को ,बचाना पड़ता है ऋतेश मिश्र ©Ritesh Mishra
Ritesh Mishra
14 Love
सोंचो ! क्या सोंचता होगा परवरदिगार उस जहां से । जो आपस में खुश नहीं हैं वो हमको क्या खुश करेंगें ।। ऋतेश मिश्र ©Ritesh Mishra
15 Love
परेशाँ दोनों बहुत है अपने अपने शिकवों शिकायतों से वो कहें याद आती नहीं तुम्हें ,मैं कहूं याद जाती नहीं तुम्हारी ... ऋतेश मिश्र ©Ritesh Mishra
11 Love
White घर की तरक्की क्या हुई, आंगन बौने हो गए हम मद में बड़े जैसे हुए, सारे खिलौने खो गए ... ऋतेश मिश्र ©Ritesh Mishra
9 Love
White है कोई अदालत में हाकिम जो मुझे सज़ा दे सके मैं कातिल हूं , कई ख्वाभो खयालों को मारा है मैनें ... ऋतेश मिश्र ©Ritesh Mishra
White सपनों पर भरोसा छोड दिया है फिर क्यों आए दिन रात जले पर नमक दे रही है मैनें इस उम्र में पढ़ना छोड़ दिया है फिर क्यों मुझे हरेक रोज़ दुनियाँ सबक दे रही है ऋतेश मिश्र ©Ritesh Mishra
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