White सपनों पर भरोसा छोड दिया है फिर क्यों आए दिन | हिंदी Shayari

"White सपनों पर भरोसा छोड दिया है फिर क्यों आए दिन रात जले पर नमक दे रही है मैनें इस उम्र में पढ़ना छोड़ दिया है फिर क्यों मुझे हरेक रोज़ दुनियाँ सबक दे रही है ऋतेश मिश्र ©Ritesh Mishra"

 White सपनों पर भरोसा छोड दिया है फिर क्यों
आए दिन रात जले पर नमक दे रही है 
मैनें इस उम्र में पढ़ना छोड़ दिया है फिर क्यों
मुझे हरेक रोज़ दुनियाँ सबक दे रही है 

ऋतेश मिश्र

©Ritesh Mishra

White सपनों पर भरोसा छोड दिया है फिर क्यों आए दिन रात जले पर नमक दे रही है मैनें इस उम्र में पढ़ना छोड़ दिया है फिर क्यों मुझे हरेक रोज़ दुनियाँ सबक दे रही है ऋतेश मिश्र ©Ritesh Mishra

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