मैं पगली इस दुनिया की भूल से मैं आ गई । गुण तो नहीं है मुझमें कुछ भी, फिर भी लोगों के दिलों में,जगह बना गयी । मस्त रहती हूँ अपने धुन में, सुख हो चाहे दुख, अपनी किस्मत ऐसी ही है, मैने ऐसा मान लिया । ऊपर वाले से क्या करूँ शिकायत,जितना है,बस खुशी उसी में, उसकी कृपा यूँ बनी रहे,फिर तो सब अच्छा ही होगा। कोशिश यही होती है मेरी,दिल ना दुखे किसी का मुझसे, थोड़ा किसी के काम आ जाऊँ,तो ये जन्म सफल हो जाए। ऐसे ही बस हँसते-हँसते,प्यार सभी से बना रहे, यही तमन्ना है बस मन की,शेष जीवन भी कट जाए।
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