Vikas Kumar Chourasia

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ख़ामोशी

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White तरह-तरह की भाषा-बोली  अलग-अनोखी संस्कृति  अनेकों रंग घुले हैं जिसमें  है अलग-अनूठी प्रकृति  संकट कितने, इस धरा ने झेले  पर रुका नहीं कारवां हमारा  दिन-प्रतिदिन, नई ऊँचाई को  छूता रहा, ये देश हमारा  हम सब आशा इतनी करते हैं  प्रभुता भारत की बनी रहे  मेरा देश सदा बढ़ता रहे  ये गणतंत्र दिवस अमर रहे। 🍁विकास कुमार🍁 ©Vikas Kumar Chourasia

#Happy_Republic_Day  White तरह-तरह की भाषा-बोली 
अलग-अनोखी संस्कृति 

अनेकों रंग घुले हैं जिसमें 
है अलग-अनूठी प्रकृति 

संकट कितने, इस धरा ने झेले 
पर रुका नहीं कारवां हमारा 

दिन-प्रतिदिन, नई ऊँचाई को 
छूता रहा, ये देश हमारा 

हम सब आशा इतनी करते हैं 
प्रभुता भारत की बनी रहे 

मेरा देश सदा बढ़ता रहे 
ये गणतंत्र दिवस अमर रहे।
  🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia

White हर रोज एक नई सुबह  रोज एक नया खुलासा  तमाशों में बसा शहर  रोज एक नया तमाशा  कभी बेरंग, कभी रंगीन  कभी फ़ीकी, कभी हसीन  हर कदम बदलती रहती है  जीवन की ये परिभाषा  तमाशों में बसा शहर  रोज एक नया तमाशा 🍁विकास कुमार🍁 ©Vikas Kumar Chourasia

#Khamoshi_ख़ामोशी  White 

हर रोज एक नई सुबह 
रोज एक नया खुलासा 
तमाशों में बसा शहर 
रोज एक नया तमाशा 

कभी बेरंग, कभी रंगीन 
कभी फ़ीकी, कभी हसीन 

हर कदम बदलती रहती है 
जीवन की ये परिभाषा 
तमाशों में बसा शहर 
रोज एक नया तमाशा
 🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia

White एक खूबसूरत सा विशाल ब्रह्मांड ब्रह्मांड में मौजूद, छोटी से धरती  धरती की अपनी तरह-तरह की रचना रचना में मौजूद प्राकृतिक सौंदर्य प्राकृतिक सौंदर्य में निवास करता जीवन  जीवन में छुपे अनेकों रंग  अनेकों रंगों और ख्यालों से सजा सम्पूर्ण ब्रह्मांड          🍁विकास कुमार🍁 ©Vikas Kumar Chourasia

#Khamoshi_ख़ामोशी  White 

एक खूबसूरत सा विशाल ब्रह्मांड

ब्रह्मांड में मौजूद, छोटी से धरती 

धरती की अपनी तरह-तरह की रचना

रचना में मौजूद प्राकृतिक सौंदर्य

प्राकृतिक सौंदर्य में निवास करता जीवन 

जीवन में छुपे अनेकों रंग 

अनेकों रंगों और ख्यालों से सजा सम्पूर्ण ब्रह्मांड

         🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia
#Khamoshi_ख़ामोशी  White हम इंसानों की तुम बात ना पूछो 
दौड़ते-भागते, हाँप रहे हैं 
कतार लगी है अंधों की 
इस अंधी दौड़ में, सब भाग रहे हैं 

उलझे-सुलझे, फिर से उलझे 
यहाँ-वहाँ बस ताक रहें हैं 
मकसद अपना छोड़-छाड़ के 
अंधी दौड़ में सब भाग रहे हैं

होड़ लगी है बड़ा दिखने की 
बड़ी-बड़ाई, सब हाँक रहे हैं 
दिखावे के इस दौर में देखो 
अंधी दौड़ में सब भाग रहे हैं 

भागो जितना भाग सको 
कहीं गिर जाओ, तो रुक जाना 
रुक के खुद से बातें करना 
खुद को थोड़ा समझाना 

मजदूर नहीं जो भाग रहे हो 
गुलाम नहीं जो जाग रहे हो 
राजा हो तुम अपने मन के 
अंधों की दौड़ में, क्यों भाग रहे हो ?

©Vikas Kumar Chourasia

#Khamoshi_ख़ामोशी hindi poetry hindi poetry on life poetry

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#Khamoshi_ख़ामोशी #Quotes  White सपने, वादे, इरादे 
सब परिंदे हैं खुले आसमान के 

कुछ को मंजिल हासिल होगी 
कुछ तूफ़ान में बिखर जायेंगे 

इनके होने ना होने का मलाल कैसा 

शेष ही तो बची हैं, कुछ धड़कने 
फिर हम भी सिमट जायेंगे 
    🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia
#Khamoshi  
अच्छा हो या बुरा!
सब अस्थायी है
स्थिर कुछ भी नहीं,

बस ऐसी ही कुछ बात
ये भी है, कि
तुम्हारे वक्त और हालातों के साथ
ये दुनिया,
रातों रात बदलती है
      🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia

#Khamoshi ख़ामोशी

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