Rj_Rajesh_बली

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क्या लिखूँ रखता हूं ख़ुद को खामोश और चिंतनशील ये सोचकर कभी लबों पर मीठे बोल फूटेंगे कभी मिलेगा हमें नसीब से ज्यादा छोटी छोटी उपलब्धियों या उपहारों पर मुस्कुराने का क्या फ़ायदा जिन्दगी एक जंग है , लड़ाई हर सांस के लिए कोई रखे तो कैसे रखे जगह,दिलों में एहसास के लिए चलो माना राजेश ,नहीं बचा सके वक्त सभी के लिए कुछ तो वक्त बचाना चाहिए था तुम्हे ,अपने खास के लिए अपनी ही उलझनों में उलझकर भुल जाते हैं लोग अपना ही वायदा छोटी छोटी उपलब्धियों और उपहारों पर मुस्कुराने का क्या फ़ायदा?? खोखले मन से जो करता अट्टाहस ईश्वर हमें दें उनसे जूझने का साहस बुरे दौर में भी मन जिगीषु रहे इतनी हो तिरस्कार सहने की ताकत हमारी आंखों में यूं ही बची रहे आर्द्रता छोटी छोटी उपलब्धियों या उपहारों पर मुस्कुराने का क्या फ़ायदा ©Rj_Rajesh_बली

#PoetInYou  क्या लिखूँ रखता हूं ख़ुद को खामोश और चिंतनशील 
ये सोचकर 
कभी लबों पर मीठे बोल फूटेंगे 
कभी मिलेगा हमें नसीब से ज्यादा 
छोटी छोटी उपलब्धियों या उपहारों पर 
मुस्कुराने का क्या फ़ायदा

जिन्दगी  एक  जंग  है , लड़ाई  हर  सांस  के  लिए 
कोई रखे तो कैसे रखे जगह,दिलों में एहसास के लिए 
चलो माना राजेश ,नहीं बचा सके वक्त सभी के लिए 
कुछ तो वक्त बचाना चाहिए था तुम्हे ,अपने खास के लिए 

अपनी ही उलझनों में उलझकर
भुल जाते हैं लोग अपना ही वायदा 
छोटी छोटी उपलब्धियों और उपहारों पर 
मुस्कुराने का क्या फ़ायदा??

खोखले मन से जो करता अट्टाहस 
ईश्वर हमें दें उनसे जूझने का साहस 
बुरे  दौर  में  भी  मन  जिगीषु  रहे 
इतनी हो तिरस्कार सहने की ताकत 

हमारी आंखों में यूं ही बची रहे आर्द्रता 
छोटी छोटी उपलब्धियों या उपहारों पर 
मुस्कुराने का क्या फ़ायदा

©Rj_Rajesh_बली

#PoetInYou

12 Love

क्या लिखूँ जख्मों और सपनों के बीच द्वंध, मासूम आंखें आंकें किसे कम। अच्छा रहता, दोनों के सामने , काश पलकें झुका पाते हम ।। यादें कंकर फेंकती हैं, आंसु मुझे सहेजतीं हैं । पृथक ना हो दिल के टुकड़े, आरजू मेरी कहतीं हैं ।। जिंदगी मेरी गुमनाम क्यूं हैं ? हर शख्स यहां परेशां क्यूं हैं ?? मिलती मुश्किल से मानव जीवन, फिर जीवन में इतने इम्तिहाँ क्यूं है ??? ये सवाल भला मुझसे, क्यूं पूछते हो राजेश ?? क्यूं है मानव के मन में, मानव से ही द्वेष ?? पूछ ही लिए हो तो, एक कटु सत्य समझो , लालच में मानव अंधा है ,वर्चस्व में बसता क्लेश ।। ©Rj_Rajesh_बली

#PoetInYou  क्या लिखूँ  जख्मों और सपनों के बीच द्वंध,
मासूम आंखें  आंकें  किसे  कम।
अच्छा  रहता, दोनों  के  सामने ,
काश  पलकें   झुका   पाते  हम ।।

यादें कंकर फेंकती हैं,
आंसु मुझे सहेजतीं हैं ।
पृथक ना हो दिल के टुकड़े,
आरजू  मेरी  कहतीं  हैं ।।

जिंदगी मेरी गुमनाम क्यूं हैं ?
हर शख्स यहां परेशां क्यूं हैं ??
मिलती मुश्किल से मानव जीवन,
फिर जीवन में इतने इम्तिहाँ क्यूं है ???

ये सवाल भला मुझसे, क्यूं पूछते हो राजेश ??
क्यूं  है मानव  के  मन  में, मानव से ही  द्वेष ??
पूछ  ही  लिए  हो  तो, एक  कटु  सत्य  समझो ,
लालच में मानव अंधा है ,वर्चस्व में बसता क्लेश ।।

©Rj_Rajesh_बली

#PoetInYou

15 Love

क्या लिखूँ जख्मों और सपनों के बीच द्वंध, मासूम आंखें आंकें किसे कम। अच्छा रहता, दोनों के सामने , काश पलकें झुका पाते हम ।। यादें कंकर फेंकती हैं, आंसु मुझे सहेजतीं हैं । पृथक ना हो दिल टुकड़े, आरजू मेरी कहतीं हैं ।। जिंदगी मेरी गुमनाम क्यूं हैं ? हर शख्स यहां परेशां क्यूं हैं ?? मिलती मुश्किल से मानव जीवन, फिर जीवन में इतने इम्तिहाँ क्यूं है ??? ये सवाल भला मुझसे, क्यूं पूछते हो राजेश ?? क्यूं है मानव के मन में, मानव से ही द्वेष ?? पूछ ही लिए हो तो, एक कटु सत्य समझो , लालच में मानव अंधा है ,वर्चस्व में बसता क्लेश ।। ©Rj_Rajesh_बली

#PoetInYou  क्या लिखूँ जख्मों और सपनों के बीच द्वंध,
मासूम आंखें  आंकें  किसे  कम।
अच्छा  रहता, दोनों  के  सामने ,
काश  पलकें   झुका   पाते  हम ।।

यादें कंकर फेंकती हैं,
आंसु मुझे सहेजतीं हैं ।
पृथक ना हो दिल टुकड़े,
आरजू  मेरी  कहतीं  हैं ।।

जिंदगी मेरी गुमनाम क्यूं हैं ?
हर शख्स यहां परेशां क्यूं हैं ??
मिलती मुश्किल से मानव जीवन,
फिर जीवन में इतने इम्तिहाँ क्यूं है ???

ये सवाल भला मुझसे, क्यूं पूछते हो राजेश ??
क्यूं  है मानव  के  मन  में, मानव से ही  द्वेष ??
पूछ  ही  लिए  हो  तो, एक  कटु  सत्य  समझो ,
लालच में मानव अंधा है ,वर्चस्व में बसता क्लेश ।।

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13 Love

जख्मों और सपनों के बीच द्वंध, मासूम आंखें आंकें किसे कम। अच्छा रहता, दोनों के सामने , काश पलकें झुका पाते हम ।। यादें कंकर फेंकती हैं, आंसु मुझे सहेजतीं हैं । पृथक ना हो दिल टुकड़े, आरजू मेरी कहतीं हैं ।। जिंदगी मेरी गुमनाम क्यूं हैं ? हर शख्स यहां परेशां क्यूं हैं ?? मिलती मुश्किल से मानव जीवन, फिर जीवन में इतने इम्तिहाँ क्यूं है ??? ये सवाल भला मुझसे, क्यूं पूछते हो राजेश ?? क्यूं है मानव के मन में, मानव से ही द्वेष ?? पूछ ही लिए हो तो, एक कटु सत्य समझो , लालच में मानव अंधा है ,वर्चस्व में बसता क्लेश ।। ©Rj_Rajesh

#yogaday  जख्मों और सपनों के बीच द्वंध,
मासूम आंखें  आंकें  किसे  कम।
अच्छा  रहता, दोनों  के  सामने ,
काश  पलकें   झुका   पाते  हम ।।

यादें कंकर फेंकती हैं,
आंसु मुझे सहेजतीं हैं ।
पृथक ना हो दिल टुकड़े,
आरजू  मेरी  कहतीं  हैं ।।

जिंदगी मेरी गुमनाम क्यूं हैं ?
हर शख्स यहां परेशां क्यूं हैं ??
मिलती मुश्किल से मानव जीवन,
फिर जीवन में इतने इम्तिहाँ क्यूं है ???

ये सवाल भला मुझसे, क्यूं पूछते हो राजेश ??
क्यूं  है मानव  के  मन  में, मानव से ही  द्वेष ??
पूछ  ही  लिए  हो  तो, एक  कटु  सत्य  समझो ,
लालच में मानव अंधा है ,वर्चस्व में बसता क्लेश ।।

©Rj_Rajesh

#yogaday

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जख्मों और सपनों के बीच द्वंध मासूम आंखें आंकें किसे कम अच्छा रहता, दोनों के सामने काश पलकें झुका पाते हम यादें कंकर फेंकती हैं, आंसु मुझे सहेजतीं हैं पृथक ना हो दिल टुकड़े आरजू मेरी कहतीं हैं जिंदगी मेरी गुमनाम क्यूं हैं हर शख्स यहां परेशां क्यूं हैं मिलती मुश्किल से मानव जीवन फिर जीवन में इतने इम्तिहाँ क्यूं है ये सवाल भला मुझसे, क्यूं पूछते हो राजेश ?? क्यूं है मानव के मन में ,मानव से ही द्वेष ?? पूछ ही लिए हो तो, एक कटु सत्य समझो लालच में मानव अंधा है ,वर्चस्व में बसता क्लेश ©Rj_Rajesh

#DearKanha  जख्मों और सपनों के बीच द्वंध
मासूम आंखें  आंकें  किसे  कम
अच्छा  रहता, दोनों  के  सामने
काश  पलकें  झुका  पाते  हम 

यादें कंकर फेंकती हैं,
आंसु मुझे सहेजतीं हैं
पृथक ना हो दिल टुकड़े
आरजू मेरी कहतीं हैं

जिंदगी मेरी गुमनाम क्यूं हैं
हर शख्स यहां परेशां क्यूं हैं 
मिलती मुश्किल से मानव जीवन
फिर जीवन में इतने इम्तिहाँ क्यूं है

ये सवाल भला मुझसे, क्यूं पूछते हो राजेश ??
क्यूं है मानव के मन में ,मानव से ही द्वेष ??
पूछ ही लिए हो तो, एक कटु सत्य समझो 
लालच में मानव अंधा है ,वर्चस्व में बसता क्लेश

©Rj_Rajesh

#DearKanha

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Dear Diary जिन सपनों ने उड़ाई है आंखों से नींदें उन उम्मीदों के साथ मैं सोता ही क्यूं हूं ?? लोग जी लेते हैं अपने असत्यों के साथ मैं अपनी सत्य खोजता ही क्यू हूं ?? ख़ुद से भरता हूं जब अपनी आंखें फिर ख़ुद से अश्रु पोछता ही क्यूं हूं ?? कभी कभी सोचता हूं मैं मैं इतना सोचता ही क्यू हूं ?? ©Rj_Rajesh

#DEAR_DIARY  Dear Diary जिन सपनों ने उड़ाई है आंखों से नींदें 
उन उम्मीदों के साथ मैं सोता ही क्यूं हूं ??

लोग जी लेते हैं अपने असत्यों के साथ
मैं अपनी सत्य खोजता ही क्यू हूं ??

ख़ुद से भरता हूं जब अपनी आंखें
फिर ख़ुद से अश्रु पोछता ही क्यूं हूं ??

कभी कभी सोचता हूं मैं
मैं इतना सोचता ही क्यू हूं ??

©Rj_Rajesh

#DEAR_DIARY

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