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मुसाफ़िर क़लम
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कैसे बताऊं कि मेरा मसला तुम नहीं हो, मेरा मसला ये है कि, बस तुम नहीं हो! ©मुसाफ़िर क़लम
10 Love
मेरे पास तुम्हें देने के लिए बसन्त है। तुम्हारे शहर की गलियां पर बेहद तंग हैं।। ©मुसाफ़िर क़लम
13 Love
इतनी बदसलूकी ना कर ऐ जिंदगी, हम कौन सा यहाँ बार-बार आने वाले हैं ©मुसाफ़िर क़लम
16 Love
मैं रहूँ या ना रहूँ तुम मुझमे कहीं बाकी रहना मुझे नींद आये जो आखिरी तुम ख्वाबो में आते रहना बस इतना हैं तुमसे कहना मैं रहूँ या ना रहूँ तुम मुझमे कहीं बाकी रहना किसी रोज़ बारिश जो आये समझ लेना बूंदों में मैं हूँ सुबह धुप तुमको सताए समझ लेना किरणों में मैं हूँ... ©मुसाफ़िर क़लम
15 Love
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