ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री) Lives in Rajsamand, Rajasthan, India

8209264961,9549518477 भौतिक शास्त्री (एम. एससी भौतिकी), भारतीय शास्त्रीय संगीतज्ञ (एम. ए.संगीत), राजनीतिज्ञ (एम. ए. राजनीति)& हिंदी & राजस्थानी मायड़ भासा (मेवाड़ी) रो कवि

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#विचार  अच्छे बनकर रहोगे तो अच्छे लोग मिलेंगे
बाकी क्रूरता का अंत नहीं है इस जग में।

सिर्फ यादें बनकर रह जाती हैं जिंदगी ,
इससे ज्यादा कोन क्या साथ लेकर जाएगा।।

तेरा सिर्फ तेरा ही रहेगा ,तेरा तेरा ही तेरा है।
मेरा तो सिर्फ मेरा है ,मेरा मेरा ही मेरा हैं।।

सच कहूं तो कुछ भी नहीं है, केवल भ्रम की मधुमाला है।
जीवन एक यादों का सफर , और यादों की मधुशाला है।।

अच्छे बनो अच्छे रहो बस यही है जिंदगी,,,,,,

©Ombhakat Mohan( kalam mewad ki)

अच्छे बनकर रहोगे तो अच्छे लोग मिलेंगे बाकी क्रूरता का अंत नहीं है इस जग में। सिर्फ यादें बनकर रह जाती हैं जिंदगी , इससे ज्यादा कोन क्या साथ लेकर जाएगा।। तेरा सिर्फ तेरा ही रहेगा ,तेरा तेरा ही तेरा है। मेरा तो सिर्फ मेरा है ,मेरा मेरा ही मेरा हैं।। सच कहूं तो कुछ भी नहीं है, केवल भ्रम की मधुमाला है। जीवन एक यादों का सफर , और यादों की मधुशाला है।। अच्छे बनो अच्छे रहो बस यही है जिंदगी,,,,,, ©Ombhakat Mohan( kalam mewad ki)

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#विचार  जानो तुम एक दर्द मर्द के, कितने दर्दों को उसने झेला है।
देखो तुम उसकी चीर के छाती,कितनी छूरियो के घाव खाए।।

उसने कितने दर्द छुपाएं ,उसने कितने मर्ज छुपाए
बहता जब भी आखों का दरिया ,दर्द मे बहती हजारों फिजाए।।


काश! तुम जानोगे दर्द हमारे,हो जाएंगे सर दर्द तुम्हारे
कितने निष्ठुर बनके बैठे ,मन में ऐसा कुछ तन कर बैठे।।

मर्द है तो मर्दों के जैसे , मर्दों सा हम बनकर बैठे,,,,,,

©Ombhakat Mohan( kalam mewad ki)

जानो तुम एक दर्द मर्द के, कितने दर्दों को उसने झेला है। देखो तुम उसकी चीर के छाती,कितनी छूरियो के घाव खाए।। उसने कितने दर्द छुपाएं ,उसने कितने मर्ज छुपाए बहता जब भी आखों का दरिया ,दर्द मे बहती हजारों फिजाए।। काश! तुम जानोगे दर्द हमारे,हो जाएंगे सर दर्द तुम्हारे कितने निष्ठुर बनके बैठे ,मन में ऐसा कुछ तन कर बैठे।। मर्द है तो मर्दों के जैसे , मर्दों सा हम बनकर बैठे,,,,,, ©Ombhakat Mohan( kalam mewad ki)

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#लव  जानता हूं ,मैं भी तेरे नयनों परिभाषा को,
जानता हूं, मैं भी तेरे हृदय की अभिलाषा को।
फिर भी मैं खामोश हुं, तेरे प्यार आगोश में।
नजरो से अनजाना करके ,रहता हूं मैं होश में ।।

धीरे धीरे प्यार की जब , नजदिकिया जब बढ़ती है,
रंग रूप यौवन की सिसकियां भी बढ़ती है।
कुछ तो तुम महक रही हो,कुछ तो हम महक रहे।
एक दूजे को पाने को, हम मन ही मन चहक रहे।।

सच कहूं तो कुछ भी नहीं ऐसा ,हम खुद ही खुद से बहक रहे।।

©Ombhakat Mohan( kalam mewad ki)

स्वयंप्रभा से जो जल रही है, भक्ति ए मेवाड़ की। सृष्टि के निर्माण की और समता के निर्माण की।। किनके नसीबो में फकीरी है ये प्यारे श्याम की। श्याम सलोनी सुरती पर, श्याम सलोनी गात पर । एक कहानी प्रेम की , मीरा दीवानी हो गई।। ओम भक्त मोहन (कलम मेवाड़ री)

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#पौराणिककथा  एक प्रसंग प्रेम का

©Ombhakat Mohan( kalam mewad ki)

एक प्रसंग प्रेम का ©Ombhakat Mohan( kalam mewad ki)

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#पौराणिककथा  श्री राम भवन के न्यासी नही,
त्रिभुवन के शिलान्यास बने।

ऐसे पथ पर जाना होगा,जो पथ है अविराम का
इसलिए मांगा केकई ने,वनवास श्री राम का।।

©Ombhakat Mohan( kalam mewad ki)

@Vijaykakade68 प्रभा देवी आभा 🖋️ @sana naaz @kashi... रविन्द्र 'गुल' ek shayar

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