ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री) Lives in Rajsamand, Rajasthan, India

8209264961,9549518477 भौतिक शास्त्री (एम. एससी भौतिकी), भारतीय शास्त्रीय संगीतज्ञ (एम. ए.संगीत), राजनीतिज्ञ (एम. ए. राजनीति)& हिंदी & राजस्थानी मायड़ भासा (मेवाड़ी) रो कवि

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#विचार #SunSet  143=i   love you

©ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

#SunSet

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#न्यूज़

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#समाज  नारी तेरे यौवन पर, यह जग  हैं बोराना
इस मधमाती मधुवन में, 
मोहब्बत की मधुशाला हैं।।

©ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

नारी तेरे यौवन पर, यह जग हैं बोराना इस मधमाती मधुवन में, मोहब्बत की मधुशाला हैं।। ©ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

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#समाज  जब मदन से खुद को मोहन किया ,
तब तेरी प्रीत को लिखने का साहस किया ।

जब दिल में प्रीत की बंशी बजी,
तब मयूर पंखी हाथों धरी।।

©ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

जब मदन से खुद को मोहन किया , तब तेरी प्रीत को लिखने का साहस किया । जब दिल में प्रीत की बंशी बजी, तब मयूर पंखी हाथों धरी।। ©ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

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#समाज  वो ख्वाब साजन के सजाने लगी ,
तेरे आने से।
राग रसिया गाने लगी,
 तेरे आने से।
वो गीत प्रेम के गाने लगी,
 तेरे आने से।
हे। उन्मादी रंग तेरा ऋतुराज बसंत

©ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

वो ख्वाब साजन के सजाने लगी , तेरे आने से। राग रसिया गाने लगी, तेरे आने से। वो गीत प्रेम के गाने लगी, तेरे आने से। हे। उन्मादी रंग तेरा ऋतुराज बसंत ©ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

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#कविता  कई चले तुफान और  कई चली  हैं आंधियां ।
 पर मेवाड़ ऐसा दीप है,जो कभी बुझता नहीं।।

कई तूफा आए हैं, कई चले गए।
गिरी हो कोई इमारतें,तो यार हमे बताओं तुम।।

कई चली हैं आंधियां, कई चली पुरवाइया।
बुझी हो कोई मशाले यहां ,तो यारो हमे बताओ तुम।।

ये धरा मेवाड़ की ,ये धरा स्वाभिमान।
आन की हे, बान की ,शान की गुमान की।।

©ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

कई चले तुफान और कई चली हैं आंधियां । पर मेवाड़ ऐसा दीप है,जो कभी बुझता नहीं।। कई तूफा आए हैं, कई चले गए। गिरी हो कोई इमारतें,तो यार हमे बताओं तुम।। कई चली हैं आंधियां, कई चली पुरवाइया। बुझी हो कोई मशाले यहां ,तो यारो हमे बताओ तुम।। ये धरा मेवाड़ की ,ये धरा स्वाभिमान। आन की हे, बान की ,शान की गुमान की।। ©ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

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