जब मदन से खुद को मोहन किया , तब तेरी प्रीत को लिखने का साहस किया । जब दिल में प्रीत की बंशी बजी, तब मयूर पंखी हाथों धरी।। ©ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री).
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