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जो देखा, समझा, सोचा उसे बस कलम से उकेर दिया
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New Year 2024-25 बड़ी तलब लगी है साल की आखिरी रात है और आज भी तलब लगी है साल भर के कहे–अनकहे गाहे–बेगाहे,सुने–अनसुने साफ–साफ ओझल सफ़हे सारे उलट पलट कर देख रहा हूं अब की कहीं कोई टुर्रा बचा हो अधजला तो कश लगा लूं... बड़ी तलब लगी है पर जगह नहीं अब डायरी में। यह ऐशट्रे पूरी भर चुकी है ।। ©गीतेय...
गीतेय...
13 Love
White जोर की फटकार लगाएंगे कल आने तो दो सूरज को ये क्या आदत नई लगाई उससे पूछेंगे सवाल कल कल आने तो दो सूरज को रोज देर से निकलते हो अब कभी तो पूरी दिन ही गायब कल सबक सिखाएंगे कल आने तो दो सूरज को ये कोई बात नहीं कि "ठंड बढ़ गई है" धूप में ये कटौती क्यों है कल पूरी खैर लगाएंगे कल आने तो दो सूरज को ©गीतेय...
17 Love
White बहोत ख़ास था किस्सा मेरा.. मेरे लिए., तुरंत आम हो गया वो दुनिया के बाजार में आते ही... ©गीतेय...
11 Love
तेरे नाम की स्याही सारी बहा दी मैंने अब इस टूटी नोक की कलम से तुम लिखी न जाओगी। अब कोरे कागज पे तुम महज इक काला धब्बा हो सिर्फ।। ©गीतेय...
पत्तियां टूटती हैं, पैरों तले रौंदी जाती हैं। कौन पूछता है उनसे बसंत का हाल ? या की कैसा था पतझड़ का काल ? वो तो हरापन लूटा कर हार गई, सो सुख गई। लकीरों से उसकी एक कहानी चूक गई।। ©गीतेय...
White अरि जन भले जून जला ले सर नोचे या खून गला ले पर अर्जुन नज़र नयन रखना चिरुगुण चहक मत्स्य भेदना सिवाय न लक्ष्य के कुछ देखना.. फिर अरि जन भले जून जला ले.. सर नोचे या खून गला ले... ©गीतेय...
14 Love
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