किताब फर्क नहीं पड़ता
कौन कितना सच्चा, अच्छा, विद्वान है।
अधिकांशतः सभी
पद, प्रतिष्ठा,धन के
गुलाम हैं।
ऊचे पदोन्नत धनवान जो हैं
निर्विघ्न , कार्य सब के हो जाते।
निश्च्छल, गरीब, दुखिया जन तो वश
प्रारब्ध औ रब के हो जाते।
©Deepa Didi Prajapati
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