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White फिर एक शाम होगी। जो तेरे नाम होगी। रहेगी फुर्सत दोनो को। लंबी मुलाकात होगी। कैसी कटी जिंदगी दोनो की। हर मुद्दे पर बात होगी। तफसील से सुनना मेरी। मौन रहने की कीमत एक दिन चुकानी पड़ेगी। मुझसे हो रही दूरी। तुम्हे भारी पड़ेगी। याद करने से भी। नही आयेगी याद मेरी। तस्वीर मेरी धुंधली होगी। #अनुराज ©Anuraag Bhardwaj
Anuraag Bhardwaj
8 Love
Thursday, 13 June | 11:05 pm
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आजकल उसका मेरा रिश्ता। बड़ा formal सा हो गया है। कैसे हो और सब कैसे हैं। जैसे और कोई बात नही बची। मगर फिर भी जताया जा रहा है मुझे फिक्र है तुम्हारी। इस फिक्र में अपनेपन से जायदा। एक जबरदस्ती सी झलकती है। ये बताने को अब भी हम वैसे ही है। मगर क्या सच में ही वैसे ही है। नही अब अपनेपन का हक सा। नजर नही आता तुम्हारी बातो में। एक खाना पूर्ति पूरी कर रही हो जैसे। अब लगता है वो दौर आयेगा भी नही जहा हक जताने की जरूरत नहीं पड़ती थी। वक्त बेवक्त अनजाने में होती थी सब बाते। हो सकता है वक्त के सब कुछ बदल जाता हो। या हमारा नजरिया बदल जाता हो। मगर वो अपनापन वो गुजरे लम्हे। कही ना कही चिढ़ाते रहते हैं मन को। और हम अपने दिल को झूठी तसल्ली देते हैं। नहीं कुछ नही बदला। जो वाक्य में ही बदल चुका होता है। देर सवेर ये दौर सबकी जिंदगी में भी आता है। ये हम पर निर्भर करता है। हम सच्चाई को स्वीकार करते हैं। या नजरंदाज करते हैं । #अनुराज ©Anuraag Bhardwaj
12 Love
orange string love light कुछ स्त्रियां। कभी बूढ़ी नही होती। ना तन से न मन से। ना विचारो से। ना व्यवहार से। ना स्वभाव। बरसो बाद भी देखो तो। साल बढ़ रहे होते हैं मगर उम्र ठहर गई हो। वही स्फूर्ति। वही ताज़गी। वही सादगी। वही खूबसूरती। वैसी ही मुस्कुराहट। जो बरसों से बरकरार हो। चुंबकीय व्यक्तित्व। कोई भी अनायास खींचा चला जाए। अदाएं ऐसी की स्तब्ध हो जाए। बाते मानों दिल पर वार करती जाए। हां सच में कुछ स्त्रियां। कभी बूढ़ी नही होती। #अनुराज ©Anuraag Bhardwaj
13 Love
Stranger क्या कभी सुना शादीशुदा stranger। आज कल एक नया trend शुरू हो गया। जहा पति पत्नी साथ होकर भी साथ नहीं होते। निभाते हैं हर रिश्ता मगर दिल नहीं मिलते। कोशिश नहीं करते एक दूसरे को समझने की। बन कर अजनबी रात गुजार देते हैं बात किए ना जाने कितने दिन गुजर जाते हैं। बना कर डाकिया बच्चो को। एक दूसरे से काम करवाए जाते हैं। कभी बच्चो के लिए कभी मा बाप की खातिर। खुद को बांध लेते हैं। कभी विचारो की लड़ाई कभी स्वाभिमान की। बस खुद साबित करने में लग जाते हैं। बंद कमरों में कैद हो जाती चींखें। बाथरूम में आंसूओ के सैलाब आते है। बस दिखावे में गुजरती है ज़िन्दगी। पूछ लेता है जब भी कोई हाल दिल का। सब ठीक है कह कर लीपापोती करते हैं। सौ सौ बहाने बनाते हैं साथ साथ जाने में। झूठ बातों से रिश्ते निभाए जाते हैं। बोझ समझ कर ढोहते है अपनी ज़िंदगी। दिल कैसे कैसे समझाए जाते हैं। बना लेते हैं अपना अपना दायरा। बस खुद में सिमट जाते हैं। फिर ढूंढते हैं दोस्ती बाहर जा कर। कुछ अनजान रिश्ते बना लेते हैं। पति पत्नी भी stranger बन जाते हैं। #अनुराज ©Anuraag Bhardwaj
11 Love
जब किसी को सोचते हैं फिर एक ख्याल आता है जिसे उतार दिया जाता है कागज पर। जब कोई पढ़ता है उस ख्याल को। वो ख्याल छा जाता हैं उसके दिल में। एक एहसास बन कर। वो एहसास जोड़ देता है उसे। उस शख्स की कल्पना से। और कही ना कही। वो एक एक लब्ज़ मानो उसे ही सोच कर लिखे गए हो। जो लब्ज़ जो बोले ना जा सके हो। समझे ना जा सके हो। वही लब्ज़ एक जरिया बन जोड़ देते हैं दोनो को। जो कभी मिले ना। कभी बात ना हुई है। बस एक एहसास एक ख्याल है। जो जोड़ो हुए दो अजनबियों को। ना कोई आस ना कोई उम्मीद। फिर भी कभी न खत्म। होने वाला इंतजार। #अनुराज ©Anuraag Bhardwaj
10 Love
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