Anuraag Bhardwaj

Anuraag Bhardwaj Lives in Chandigarh, Punjab, India

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White ये कुछ पल का साथ। जिंदगी मुकम्मल कर देता। चिंता फिक्र मुश्किले। सब ना जाने कहा गायब हो जाती है मानो ज़िंदगी में थी ही नही। बाते भी नही होती। बस हाथ थामे साथ होता है। मै अपने ख्यालों में होता हूं वो अपने ख्यालों में होती है जैसे एक खुशनुमा एहसास होता है एक दूसरे के मन बात कर रहे हो और एक दूसरे को समझ रहे हो। मजबूरियो से परे। कुछ पल जी रहे हो। जिंदगी को जिंदगी ना समझ कर। एक हसीन सफ़र कर रहे हो मंजिल तक ना भी पहुंचे। रास्ते पर अपनी छाप छोड़ रहे हो। ना मलाल छूटने का। ना दुख टूटने का। बस एक दूसरे को सिमट गए हो। #अनुराज ©Anuraag Bhardwaj

#अनुराज #विचार #love_shayari  White ये कुछ पल का साथ।
जिंदगी मुकम्मल कर देता।
चिंता फिक्र मुश्किले।
सब ना जाने कहा गायब हो जाती है
मानो ज़िंदगी में थी ही नही।
बाते भी नही होती।
बस हाथ थामे साथ होता है।
मै अपने ख्यालों में होता हूं
वो अपने ख्यालों में होती है 
जैसे एक खुशनुमा एहसास होता है
एक दूसरे के मन बात कर रहे हो
और एक दूसरे को समझ रहे हो।
मजबूरियो से परे।
कुछ पल जी रहे हो।
जिंदगी को जिंदगी ना समझ कर। 
एक हसीन सफ़र कर रहे हो
मंजिल तक ना भी पहुंचे।
रास्ते पर अपनी छाप छोड़ रहे हो।
ना मलाल  छूटने का।
ना दुख टूटने का।
बस एक दूसरे को सिमट गए हो।
#अनुराज

©Anuraag Bhardwaj

#love_shayari

14 Love

White फिर एक शाम होगी। जो तेरे नाम होगी। रहेगी फुर्सत दोनो को। लंबी मुलाकात होगी। कैसी कटी जिंदगी दोनो की। हर मुद्दे पर बात होगी। तफसील से सुनना मेरी। मौन रहने की कीमत एक दिन चुकानी पड़ेगी। मुझसे हो रही दूरी। तुम्हे भारी पड़ेगी। याद करने से भी। नही आयेगी याद मेरी। तस्वीर मेरी धुंधली होगी। #अनुराज ©Anuraag Bhardwaj

#अनुराज #विचार #short_shyari  White फिर एक शाम होगी।
जो तेरे नाम होगी।
रहेगी फुर्सत दोनो को।
लंबी मुलाकात होगी।
कैसी कटी जिंदगी दोनो की।
हर मुद्दे पर बात होगी।
तफसील से सुनना मेरी।
मौन रहने की कीमत
एक दिन चुकानी पड़ेगी।
मुझसे हो रही दूरी।
तुम्हे भारी पड़ेगी।
याद करने से भी। 
नही आयेगी याद मेरी।
तस्वीर मेरी धुंधली होगी।
#अनुराज

©Anuraag Bhardwaj

Late Night Talks

Late Night Talks

Thursday, 13 June | 11:05 pm

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White ये इतफाक नही है। ये नियति है उस खुदा की। जो तुम्हे मुझसे मिलाना चाहती थी। इतफाकन बहुत से लोग मिले भी। और जुदा भी हो गए। मगर तुम मिली ऐसी फिर अलग ना हो सकी। वैसे भी इतफ़ाक इतने खूबसूरत नही होते। जो जिंदगी की वजह बन जाए। तुम उस खूबसूरत लम्हें की तरह। जिसे मैं रोके रखना चाहता। जिंदगी गुजर भी जाए। मगर तुम्हारे साथ ठहरना चाहता हु। उस खुदा की नियति को बदलना नही चाहता। जिसने हमे मिलाने की कोशिश की। ना एक शहर ना एक गांव ना कोई जान पहचान। ना कोई एक जैसी रुचि ना स्वभाव। दूर दूर तक का कोई संबंध नहीं। बहुत लोगो से तुम जुड़ी होगी। बहुत से लोग मुझसे जुड़े होंगे। क्यों फिर हम ही दोनो। अगर हम मिले हैं तो वजह होगी। ये वजह बहुत खूबसूरत है। कुछ वक्त ही सही।अनुराज तुम्हारा होना तुमसे बात करना बहुत अच्छा लगता है। एक दोस्त एक हसीन अजनबी। या एक खुदा की बंदी। जो मेरी जिंदगी को नई राह पर लाई है। और मै कोई उम्मीद नहीं करना चाहता। मै जानता हू। अब उम्मीदों का पूरा होना ना मुमकिन है। तुम हो बस इतना काफी है। #अनुराज ©Anuraag Bhardwaj

#अनुराज #विचार #sad_shayari  White ये इतफाक नही है।
ये नियति है उस खुदा की।
 जो तुम्हे मुझसे मिलाना चाहती थी।
इतफाकन बहुत से लोग मिले भी।
 और जुदा भी हो गए।
मगर तुम मिली ऐसी फिर अलग ना हो सकी।
 वैसे भी इतफ़ाक इतने खूबसूरत नही होते।
जो जिंदगी की वजह बन जाए।
तुम उस खूबसूरत लम्हें की तरह।
जिसे मैं रोके रखना चाहता।
जिंदगी गुजर भी जाए।
मगर तुम्हारे साथ ठहरना चाहता हु।
उस खुदा की नियति को बदलना नही चाहता।
जिसने हमे मिलाने की कोशिश की।
ना एक शहर ना एक गांव  ना कोई जान पहचान।
ना कोई एक जैसी रुचि ना स्वभाव।
दूर दूर तक का कोई संबंध नहीं।
बहुत लोगो से तुम जुड़ी होगी।
बहुत से लोग मुझसे जुड़े होंगे।
 क्यों फिर हम ही दोनो।
 अगर हम मिले हैं तो वजह होगी।
ये वजह बहुत खूबसूरत है।
कुछ वक्त ही सही।अनुराज
तुम्हारा होना तुमसे बात करना बहुत अच्छा लगता है।
एक दोस्त एक हसीन अजनबी।
या एक खुदा की बंदी।
जो मेरी जिंदगी को नई राह पर लाई है।
और मै कोई उम्मीद नहीं करना चाहता।
मै जानता हू।
अब उम्मीदों का पूरा होना ना मुमकिन है।
तुम हो बस इतना काफी है।
#अनुराज

©Anuraag Bhardwaj

#sad_shayari

15 Love

White मै जानता हू। ये कोरी कल्पना ही है। मगर फिर भी कितनी खूबसूरत है। मेरी बेकरारिया तुम्हारी मजबुरिया। एक दूसरे की चाहत। दूरियों में सिमट जाती है। भीड़ से दूर कही। एक साथ बैठने का एहसास। मन में रोमांच भर देता है। स्पर्श मात्र से रोम रोम प्रफुल्लित हो जाए । लब्ज़ हल्क में फंस गए हो जैसे। दिमाग शून्य हो जाए। ना कहने को ना सुनने को। बस एक दूसरे के साथ में मग्न हो जाए। ये पल भर की कल्पना। जीने इच्छा और उम्मीद सी जगा देती है। तुम कितनी कितनी हो पास। ये वजह बता देती है #अनुराज ©Anuraag Bhardwaj

#अनुराज #विचार #Couple  White मै जानता हू।
ये कोरी कल्पना ही है।
मगर फिर भी कितनी खूबसूरत है।
मेरी बेकरारिया तुम्हारी मजबुरिया। 
एक दूसरे की चाहत। 
दूरियों में सिमट जाती है।
भीड़ से दूर कही। 
एक साथ बैठने का एहसास।
मन में रोमांच भर देता है।
स्पर्श मात्र से रोम रोम
प्रफुल्लित हो जाए ।
लब्ज़ हल्क में फंस गए हो जैसे।
दिमाग शून्य हो जाए।
ना कहने को ना सुनने को।
बस एक दूसरे के साथ में मग्न हो जाए।
ये पल भर की कल्पना। 
जीने इच्छा और उम्मीद सी जगा देती है।
तुम कितनी कितनी हो पास।
ये वजह बता देती है
#अनुराज

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#Couple

10 Love

आजकल उसका मेरा रिश्ता। बड़ा formal सा हो गया है। कैसे हो और सब कैसे हैं। जैसे और कोई बात नही बची। मगर फिर भी जताया जा रहा है मुझे फिक्र है तुम्हारी। इस फिक्र में अपनेपन से जायदा। एक जबरदस्ती सी झलकती है। ये बताने को अब भी हम वैसे ही है। मगर क्या सच में ही वैसे ही है। नही अब अपनेपन का हक सा। नजर नही आता तुम्हारी बातो में। एक खाना पूर्ति पूरी कर रही हो जैसे। अब लगता है वो दौर आयेगा भी नही जहा हक जताने की जरूरत नहीं पड़ती थी। वक्त बेवक्त अनजाने में होती थी सब बाते। हो सकता है वक्त के सब कुछ बदल जाता हो। या हमारा नजरिया बदल जाता हो। मगर वो अपनापन वो गुजरे लम्हे। कही ना कही चिढ़ाते रहते हैं मन को। और हम अपने दिल को झूठी तसल्ली देते हैं। नहीं कुछ नही बदला। जो वाक्य में ही बदल चुका होता है। देर सवेर ये दौर सबकी जिंदगी में भी आता है। ये हम पर निर्भर करता है। हम सच्चाई को स्वीकार करते हैं। या नजरंदाज करते हैं । #अनुराज ©Anuraag Bhardwaj

#ज़िन्दगी #अनुराज #lightning  आजकल उसका मेरा रिश्ता।
बड़ा formal सा हो गया है।
कैसे हो और सब कैसे हैं।
जैसे और कोई बात नही बची।
मगर फिर भी जताया जा रहा है
मुझे फिक्र है तुम्हारी।
इस फिक्र में अपनेपन से जायदा।
एक जबरदस्ती सी झलकती है।
ये बताने को अब भी हम वैसे ही है।
मगर क्या सच में ही वैसे ही है।
नही अब अपनेपन का हक सा।
 नजर नही आता तुम्हारी बातो में।
एक खाना पूर्ति पूरी कर रही हो जैसे।
अब लगता है वो दौर आयेगा भी नही 
जहा हक जताने की जरूरत नहीं पड़ती थी। 
वक्त बेवक्त अनजाने में होती थी सब बाते।
हो सकता है  वक्त के सब कुछ बदल जाता हो।
 या हमारा नजरिया बदल जाता हो।
मगर वो अपनापन वो गुजरे लम्हे।
कही ना कही चिढ़ाते रहते हैं मन को।
और हम अपने दिल को झूठी तसल्ली देते हैं। 
नहीं कुछ नही बदला। 
जो वाक्य में ही बदल चुका होता है।
देर सवेर ये दौर सबकी जिंदगी में भी आता है। 
ये हम पर निर्भर करता है।
 हम सच्चाई को स्वीकार करते हैं।
या नजरंदाज करते हैं ।
#अनुराज

©Anuraag Bhardwaj

#lightning

12 Love

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