White ये इतफाक नही है। ये नियति है उस खुदा की। जो | हिंदी विचार

"White ये इतफाक नही है। ये नियति है उस खुदा की। जो तुम्हे मुझसे मिलाना चाहती थी। इतफाकन बहुत से लोग मिले भी। और जुदा भी हो गए। मगर तुम मिली ऐसी फिर अलग ना हो सकी। वैसे भी इतफ़ाक इतने खूबसूरत नही होते। जो जिंदगी की वजह बन जाए। तुम उस खूबसूरत लम्हें की तरह। जिसे मैं रोके रखना चाहता। जिंदगी गुजर भी जाए। मगर तुम्हारे साथ ठहरना चाहता हु। उस खुदा की नियति को बदलना नही चाहता। जिसने हमे मिलाने की कोशिश की। ना एक शहर ना एक गांव ना कोई जान पहचान। ना कोई एक जैसी रुचि ना स्वभाव। दूर दूर तक का कोई संबंध नहीं। बहुत लोगो से तुम जुड़ी होगी। बहुत से लोग मुझसे जुड़े होंगे। क्यों फिर हम ही दोनो। अगर हम मिले हैं तो वजह होगी। ये वजह बहुत खूबसूरत है। कुछ वक्त ही सही।अनुराज तुम्हारा होना तुमसे बात करना बहुत अच्छा लगता है। एक दोस्त एक हसीन अजनबी। या एक खुदा की बंदी। जो मेरी जिंदगी को नई राह पर लाई है। और मै कोई उम्मीद नहीं करना चाहता। मै जानता हू। अब उम्मीदों का पूरा होना ना मुमकिन है। तुम हो बस इतना काफी है। #अनुराज ©Anuraag Bhardwaj"

 White ये इतफाक नही है।
ये नियति है उस खुदा की।
 जो तुम्हे मुझसे मिलाना चाहती थी।
इतफाकन बहुत से लोग मिले भी।
 और जुदा भी हो गए।
मगर तुम मिली ऐसी फिर अलग ना हो सकी।
 वैसे भी इतफ़ाक इतने खूबसूरत नही होते।
जो जिंदगी की वजह बन जाए।
तुम उस खूबसूरत लम्हें की तरह।
जिसे मैं रोके रखना चाहता।
जिंदगी गुजर भी जाए।
मगर तुम्हारे साथ ठहरना चाहता हु।
उस खुदा की नियति को बदलना नही चाहता।
जिसने हमे मिलाने की कोशिश की।
ना एक शहर ना एक गांव  ना कोई जान पहचान।
ना कोई एक जैसी रुचि ना स्वभाव।
दूर दूर तक का कोई संबंध नहीं।
बहुत लोगो से तुम जुड़ी होगी।
बहुत से लोग मुझसे जुड़े होंगे।
 क्यों फिर हम ही दोनो।
 अगर हम मिले हैं तो वजह होगी।
ये वजह बहुत खूबसूरत है।
कुछ वक्त ही सही।अनुराज
तुम्हारा होना तुमसे बात करना बहुत अच्छा लगता है।
एक दोस्त एक हसीन अजनबी।
या एक खुदा की बंदी।
जो मेरी जिंदगी को नई राह पर लाई है।
और मै कोई उम्मीद नहीं करना चाहता।
मै जानता हू।
अब उम्मीदों का पूरा होना ना मुमकिन है।
तुम हो बस इतना काफी है।
#अनुराज

©Anuraag Bhardwaj

White ये इतफाक नही है। ये नियति है उस खुदा की। जो तुम्हे मुझसे मिलाना चाहती थी। इतफाकन बहुत से लोग मिले भी। और जुदा भी हो गए। मगर तुम मिली ऐसी फिर अलग ना हो सकी। वैसे भी इतफ़ाक इतने खूबसूरत नही होते। जो जिंदगी की वजह बन जाए। तुम उस खूबसूरत लम्हें की तरह। जिसे मैं रोके रखना चाहता। जिंदगी गुजर भी जाए। मगर तुम्हारे साथ ठहरना चाहता हु। उस खुदा की नियति को बदलना नही चाहता। जिसने हमे मिलाने की कोशिश की। ना एक शहर ना एक गांव ना कोई जान पहचान। ना कोई एक जैसी रुचि ना स्वभाव। दूर दूर तक का कोई संबंध नहीं। बहुत लोगो से तुम जुड़ी होगी। बहुत से लोग मुझसे जुड़े होंगे। क्यों फिर हम ही दोनो। अगर हम मिले हैं तो वजह होगी। ये वजह बहुत खूबसूरत है। कुछ वक्त ही सही।अनुराज तुम्हारा होना तुमसे बात करना बहुत अच्छा लगता है। एक दोस्त एक हसीन अजनबी। या एक खुदा की बंदी। जो मेरी जिंदगी को नई राह पर लाई है। और मै कोई उम्मीद नहीं करना चाहता। मै जानता हू। अब उम्मीदों का पूरा होना ना मुमकिन है। तुम हो बस इतना काफी है। #अनुराज ©Anuraag Bhardwaj

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