White अपनों से इतना जलील हो चुका हूं।
बस एक गड़ा हुआ कील हो गया हूं।
मैं किसी से मोहब्बत की उम्मीद कैसे करता,
किस्मत का मारा फकीर हो गया हूं।
अब तो मेरे पास एकांत भी नहीं,
लगता है किसी का उजड़ा नसीब हो गया हूं।
जीवन के परेशानियों का मुकदमा जहां चलता है
फिर भी अपना वकील हो गया हूं।
खुद को ही समझता हूं परेशानियों का कारण
मैं खुद ही वकील खुद ही मुवक्किल हो गया हूं।
©Sumit Mishra
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