White जब कोई अपराधी अपराध कर रहा होता है तो वो अपने आपको शातिर समझता है। कुछ दिनों तक यदि उसका गुनाह लोगों की नजरों से बच जाए तो वो खुद को ईश्वर से कम नहीं समझता है। जन उसके अपराधों का पिटारा खुलता है तब वो बहुत चिल्लाता है, और सब के बारे में यही सोचता है कि सब मिल के उसको दंड दे रहे हैं। न्याय का हथियार लहूलुहान कर देता है। वो ऊपरी मन से सबको तर्क देता है कि वो निर्दोष है लेकिन खुद भी जानता है कि जो उसके साथ हो रहा है उसके कर्मों का ही फल है
©Sumit Mishra
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