SANAM.Raj

SANAM.Raj Lives in Allahabad, Uttar Pradesh, India

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#शायरी #bajiraomastani  रोज बेच रहे ख्वाब गिन रहे तारे
कि आये वो रात जब बनो तुम हमारे

तारा टूटता एक जागते अरमां अनेक
फिर सुबह उगता सूरज तो डूबते सब बेचारे

काली काली रातें सो रही विरानेपन की ओढ़ें हैं चादर
काश काट रही होती नींद किसी काली जुल्फों के सहारे

©SANAM.Raj

#bajiraomastani

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#शायरी #Hay  कभी बुने मेने मिलके,
तो कभी कही से बटोर लाये 
कभी टूटे जो ख्वाब  तो फिर बैठ खुद को समझआये 
हाय रे मन हाय रे मन
कभी यादों की बस्ती में
कभी हाथ पकड़ बुरे लम्हो का
आंखों पर लगाये मेरे आँसुओ को पुकार आये
हार सा नन्हा मन 
धड़कनों को तेज दौड़ना सिखा मेरा मन
पर नकामियाबी कि सियाहि लगे बीते लम्हो पे
 रूहानित का जतन करे मेरे मन।

ज़िम्मेदारियों और ज़िंदगानी के कशमकश में,
अंदर से मैं था हार गया।
न चाहते हुए भी मैं नजाने
कितने दफा मन को अपने मार गया।
बचपन की यादो के उस सरोवर में
आज डूब रहा है मेरा मन,
उन्न पुराने ख्वाबों के खिलौने सा
आज टूट रहा है मेरा मन।

©SANAM.Raj

#Hay mera man hay re bachpan

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#कविता  
मुसलसल बेकली दिल को रही 
 जीने की मगर सूरत भी नहीं 
फिरता हूँ तन्हा मारा मारा
ख़िज़ाँ पत्तों में छुप कर रो रही 


जले दिल से उम्मीद लिए मुसाफ़िर
जलकर कोठरी और काली  हो रही 
तुम समझोगे हुआ होगा शोर शराबा 
और बस्ती चैन से क्यूँ सो रही

घर की दीवारों पे 'नासिर' लिख गए 
उदासी बाल खोले सो रही 
 धूप ढली तो गम की आँख खुली
अब कौन तारीकियों से वाक़िफ़ हो 
बग़ैर शम्म रात तलक अंधेरा रही

©SANAM.Raj

मुसलसल बेकली दिल को रही जीने की मगर सूरत भी नहीं फिरता हूँ तन्हा मारा मारा ख़िज़ाँ पत्तों में छुप कर रो रही जले दिल से उम्मीद लिए मुसाफ़िर जलकर कोठरी और काली हो रही तुम समझोगे हुआ होगा शोर शराबा और बस्ती चैन से क्यूँ सो रही घर की दीवारों पे 'नासिर' लिख गए उदासी बाल खोले सो रही धूप ढली तो गम की आँख खुली अब कौन तारीकियों से वाक़िफ़ हो बग़ैर शम्म रात तलक अंधेरा रही ©SANAM.Raj

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#शायरी #UnlockSecrets
#UnlockSecrets
#1December

#1December

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