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लफ्ज़ में दिल का खून समो दो, हुसने गजल हो जाएगा पत्थर को तुम आसू दे दो, ताजमहल हो जाएगा। लखनऊ Phone : 7266068833
मैं सोचता हूँ कि अब तुम्हारे मेरे ज़िन्दगी में न होने से सिर्फ दुःख और खालीपन ही तो है, पर ज़िन्दगी तो चल ही रही है क्योंकि खुदा के बनाए हुए इस निजाम में कभी भी कुछ भी नहीं रुकता है। ज़िन्दगी चलती ही रहती है अगर रोकना भी चाहे तो भी नहीं रूकती, सिवाय इसके कि उसके ख़त्म होने का वक़्त आ जाये और कभी कभी ये भी सोचता हूँ कि खुदा की शायद यही रज़ा थी कि मैं तुम्हारे बिना, तुम मेरे बिना ही ज़िंदा रहो और हम एक दुसरे की यादो में तड़प कर जिये और मरे। क्या तुम अकेले मरना चाहती हो? मेरे बगैर? मैंने हमेशा तुम्हारे फैसले को सर झुका कर तस्लीम किया है चाहो तो एक बार और आज़मा लो। ©Tarique Usmani
Tarique Usmani
18 Love
White अजीब से दिन है पहले किसी का थोड़ा सा भी दुख सुनकर आँख भर आती थी। लगता था इनके सारे दुख समेट लूँ। जाती हुई एम्बुलेंस को देखकर दुआ करता था, उस मरीज़ के लिए। किसी अपने को दुख में देखकर लगता था जितना कर दूँ उतना कम हैं। लेकिन इधर चन्द माह से अजीब कैफ़ियत हैं किसी के भी दुख सुनू अफ़सोस होता है मगर अब वो पहले की तरह दिल तक नहीं पहुंचते। आँखे नम नहीं होती, कुछ महसूस ही नहीं होता। न पहले की तरह कुछ करने की उतनी तड़प रही। अब ना पहले जितनी खुशियों पर दिल उस हिसाब से खुश होता है। चीज़े बुरी भी लगती है तो लगता है कि वो तो मेरा पर्सनल मसला है। लोगों से कतराने लगा हूँ। शायद मैं बेहिस होता जा रहा हूँ। ख़ुशी अफ़सोस मुझको एक जैसे... मेरा इदराक इनसे बढ़ गया है... गुरेजा ख़्वाब सी नही हूँ मैं.. मगर ताबीर ने लरजा दिया है... ©Tarique Usmani
13 Love
White इंतज़ार एक अज़ीयत है....! फिर चाहे हाथ में मोबाईल पकडे बैक मे सेलेरी क्रेडिट होने के मेसेज का हो....! चौखट पर बैठे किसी के लौट आने का हो....! बिस्तर पर लेटकर नींद का हो....! या ज़िन्दगी से हारकर मौत का हो ..!! ©Tarique Usmani
12 Love
White अपने हालात के धागों से बुनी है मैंने आज एक ताज़ा ग़ज़ल और कही है मैंने छोटे लोगों को बड़ा कहना पड़ा है अक्सर एक तकलीफ़ कई बार सही है मैंने मैं तो जैसा भी हूं सब लोग मुझे जानते हैं तेरे बारे में भी एक बात सुनी है मैंने किस ज़रूरत को दबाऊं किसे पूरा कर लूं अपनी तनख़्वाह कई बार गिनी है मैंने ©Tarique Usmani
19 Love
White कुछ चीज़ें जो मुझे ख़ौफ ज़दह कर देती हैं ऊंची आवाज़ें ढ़लती शामें तूफानी रातें एहसास से आरी पत्थर नुमा दिल गलाजत बकती ज़बानें सख्त आज़माइश के दिन और मुनाफिक़त में लिपटे यक़ीन का क़सीदा पढ़ते इंसान। ©Tarique Usmani
17 Love
White हो इक शहर ऐसा , जहां ..तेरे मेरे सिवा , कोई और न हो, न शोर हो , न हो हलचल कोई, इस जमाने का , जहां कोई जोर न हो, कुछ सितारे हो, हो इक चांद भी जहां, जहां सूरज , हद से ज्यादा मगरुर न हो, जहां तितलियों का बसेरा हो , आस पास हमारे , जहां रूठने ,बिछड़ने का दस्तूर न हो, हो थोड़ी सी चांदनी बस जहां, जहां दिल बार बार टूटने को मजबूर न हो..। ©Tarique Usmani
14 Love
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