White अजीब से दिन है पहले किसी का थोड़ा सा
भी दुख सुनकर आँख भर आती थी। लगता
था इनके सारे दुख समेट लूँ। जाती हुई
एम्बुलेंस को देखकर दुआ करता था, उस
मरीज़ के लिए। किसी अपने को दुख में
देखकर लगता था जितना कर दूँ उतना कम हैं। लेकिन इधर चन्द माह से अजीब कैफ़ियत हैं
किसी के भी दुख सुनू अफ़सोस होता है मगर
अब वो पहले की तरह दिल तक नहीं पहुंचते।
आँखे नम नहीं होती, कुछ महसूस ही नहीं होता।
न पहले की तरह कुछ करने की उतनी तड़प रही। अब ना पहले जितनी खुशियों पर दिल उस
हिसाब से खुश होता है। चीज़े बुरी भी लगती है
तो लगता है कि वो तो मेरा पर्सनल मसला है। लोगों से कतराने लगा हूँ। शायद मैं बेहिस होता
जा रहा हूँ।
ख़ुशी अफ़सोस मुझको एक जैसे...
मेरा इदराक इनसे बढ़ गया है...
गुरेजा ख़्वाब सी नही हूँ मैं..
मगर ताबीर ने लरजा दिया है...
©Tarique Usmani
#love_shayari