मेरे बेरंग ख्वाबों में जो,
रंग सतरंगी भरता है..
वो इक लड़का न जाने,
रंग कितने रखता है..
सबका साथ निभाने वाला,
छोड़ कभी न जाने वाला..
खुद न जाने क्यूँ राहों पर,
अक्सर ही तन्हा चलता है..
दर्द बाँटने वाला सबके,
सबके दुखड़े सुनने वाला..
अपने हर ग़म से आख़िर,
क्यूँ हरपल तन्हा लड़ता है..
चेहरे पर मुस्कानें रखता,
अपने हर डर को ढँकता..
जाने क्या- क्या दिल में,
अपने दफनाये फिरता है..
हर ग़म अब उसका जुदा हो,
हर पल खुशियों से सजा हो..
उदास न अब हो कोई लम्हा,
दिल मेरा बस ये दुआ करता है..
हर सपना उसका सच हो जाए,
जो भी चाहे वो सबकुछ पा जाए..
शाद सुबह खुशनुमा रातें हो उसकी,
वो आखिर पाक नियत रखता है..
वो लड़का जाने कितने रंग रखता है...
©Anubha "Aashna"
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