Anubha

Anubha "Aashna" Lives in Indore, Madhya Pradesh, India

writer, social worker, trainer insta id- @anubha.aashna do check out and follow there.. also can dm related to work.

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White छह साल हो गए.. लेकिन ये रात आज भी बिल्कुल वैसी ही है वहीं उसी पल में ठहरी हुई... एक काश में उलझी हुई.. काश कि उस एक मैसेज का जवाब दे दिया होता तो शायद हमारी कहानी का अंत कुछ और होता.. एक सच्चे दोस्त को इस तरह अलविदा कहने से ज्यादा बुरा और क्या हो सकता है.. जानते हो आज भी मैं दुनिया की इस बात पर यकीं करने की पुरजोर कोशिश करती हूं कि किसी के चले जाने से जिंदगी नहीं रुकती.. फिर भी ये रात वहीं थमी हुई है और जिंदगी अब भी वहीं थमी हुई है.. तुम्हारे न होने से क्या क्या बदला है ये लफ्ज़ों में बयां करना मुमकिन नहीं है, अब तक तो तुम अपनी नई दुनिया बना चुके होगे जहां इस दुनिया के लोगों और यादों की कोई जगह नहीं होगी फ़िर भी मुझे यकीं है कि हम फिर मिलेंगे और मेरी रूह तुम्हें पहचान लेगी.. तुम भी मुझे पहचान लोगे न.. तुम्हें पहचानना ही होगा.. मैं अब भी तुम्हें तारों में नही खोजती.. क्योंकि जानती हूं मैं आकाश कभी एक सितारा हो सकता है भला... और हां रूमी को पढ़ती हूं लेकिन तुम्हारे पसंदीदा अब भी मेरी पसंद नही है.. और हां हमारी कहानी का असल अंत अभी बाकी है सही गलत के उस पार... तब तक तुम अपनी नयी दुनिया में खुश रहना और उस दुनिया से यूं अचानक अलविदा मत कहना.... तुम्हारी यादों को संभाल रखा है तुम्हारी इस दोस्त ने... ©Anubha "Aashna"

#जज़्बात_ए_आश्ना #आकाश_सा_इंतजार #विचार  White छह साल हो गए.. लेकिन ये रात आज भी बिल्कुल वैसी ही है वहीं उसी पल में ठहरी हुई... एक काश में उलझी हुई.. काश कि उस एक मैसेज का जवाब दे दिया होता तो शायद हमारी कहानी का अंत कुछ और होता.. एक सच्चे दोस्त को इस तरह अलविदा कहने से ज्यादा बुरा और क्या हो सकता है.. जानते हो आज भी मैं दुनिया की इस बात पर यकीं करने की पुरजोर कोशिश करती हूं कि किसी के चले जाने से जिंदगी नहीं रुकती.. फिर भी ये रात वहीं थमी हुई है और जिंदगी अब भी वहीं थमी हुई है.. तुम्हारे न होने से क्या क्या बदला है ये लफ्ज़ों में बयां करना मुमकिन नहीं है, अब तक तो तुम अपनी नई दुनिया बना चुके होगे जहां इस दुनिया के लोगों और यादों की कोई जगह नहीं होगी फ़िर भी मुझे यकीं है कि हम फिर मिलेंगे और मेरी रूह तुम्हें पहचान लेगी.. तुम भी मुझे पहचान लोगे न.. तुम्हें पहचानना ही होगा.. मैं अब भी तुम्हें तारों में नही खोजती.. क्योंकि जानती हूं मैं आकाश कभी एक सितारा हो सकता है भला... और हां रूमी को पढ़ती हूं लेकिन तुम्हारे पसंदीदा अब भी मेरी पसंद नही है.. और हां हमारी कहानी का असल अंत अभी बाकी है सही गलत के उस पार...  तब तक तुम अपनी नयी दुनिया में खुश रहना और उस दुनिया से यूं अचानक अलविदा मत कहना.... तुम्हारी यादों को संभाल रखा है तुम्हारी इस दोस्त ने...

©Anubha "Aashna"

कुछ रिश्ते नामों के मोहताज नहीं होते, परे होते हैं बंधनों के, जो परे होते हैं समय की हर कसौटी के, रिश्ते जिन्हें निभाया नहीं जाता, निभाया जा ही नहीं सकता.. ऐसे रिश्ते जिन्हें जिया जाता है, रिश्ते जो आज़ाद होते हैं मन की तरह.. और साथ रहते हैं धड़कन बनकर आखरी साँस तक.. रिश्ते जो जिए जाते हैं साथ रहकर, दूर होकर, यादें संजो कर.. रिश्ते जो चले आते है लबों पर मुस्कान की तरह खुशी की निशानी बनकर.. रिश्ते जो बसते हैं रूह में.. ऐसा ही रूहानी रिश्ता देने के लिए शुक्रिया.. ©Anubha "Aashna"

#विचार  कुछ रिश्ते नामों के मोहताज नहीं होते, परे होते हैं बंधनों के, 
जो परे होते हैं समय की हर कसौटी के, 
रिश्ते जिन्हें निभाया नहीं जाता, निभाया जा ही नहीं सकता.. 
ऐसे रिश्ते जिन्हें जिया जाता है, 
रिश्ते जो आज़ाद होते हैं मन की तरह.. 
और साथ रहते हैं धड़कन बनकर आखरी साँस तक.. 
 रिश्ते जो जिए जाते हैं साथ रहकर, दूर होकर, यादें संजो कर..  
रिश्ते जो चले आते है लबों पर मुस्कान की तरह खुशी की निशानी बनकर.. 
रिश्ते जो बसते हैं रूह में.. 
ऐसा ही रूहानी रिश्ता देने के लिए शुक्रिया..

©Anubha "Aashna"

आपके दिल से निकलने वाली हर दुआ कुबूल हो, उसकी नेमतें इतनी हो की अल्फाज़ शुक्रिया अता न कर सकें। जन्मदिन मुबारक साहिब..❤️

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यूँ तो खुद में ही रहती हूँ बहुत व्यस्त पर जब तुम साथ वक़्त बिताते हो तब अच्छा लगता है.. यूँ तो किसी से नही जरा भी हूँ मैं कम पर जब इस बात पर तुम इतराते हो तब अच्छा लगता है.. यू तो लड़ना सीखा है मैंने हालातो से खुद ही पर जब साथ खड़े तुम हो जाते हो तब अच्छा लगता है.. देर रात, वीरान सड़क पर जाने से नही डरती मैं पर घर पहुँचाने साथ मेरे जब तुम आते हो तब अच्छा लगता है आदत है मुझे अकेले हर सफर तय करने की पर जाते जाते तक सारी हिदायतें जब बार बार दोहराते हो तब अच्छा लगता है.. यूँ तो हूँ अचल, अड़िग, मजबूत बहुत मैं पर सर रख अपने कांधे पर जब सहलाते हो तब अच्छा लगता है.. भीड़ में घूरती निगाहों से फर्क नहीं पड़ता अब मुझको.. पर जब हाथ थाम मेरा तुम तेवर उन्हें दिखलाते हो तब अच्छा लगता है.. यूँ तो जीवन का हर निर्णय लेने में हूँ सक्षम मैं पर उन पर आंख मूंद विश्वास जब तुम दिखलाते हो तब अच्छा लगता है..r घर के बाहर के सारे कामों को करती हूं मैं खुश होकर पर छोटे छोटे कामों में जब तुम मेरा हाथ बटाते हो तब अच्छा लगता है.. यूँ तो हर गम सहना, और आंसू पीना सीखा है मैंने पर मेरी एक हंसी के खातिर जब लाख जतन कर जाते हो, तब अच्छा लगता है यूँ तो भरोसा खुद पर भरपूर है मुझको पर जब तुम हौसला बढ़ाते हो तब अच्छा लगता है.. हालातों से समझौता करना नहीं जानती मैं पर उनसे लड़ने साथ मेरे जब तुम डट जाते हो तब अच्छा लगता है.. नहीं जानती थकना और रुक जाना मैं पर हमसफर बन जब तुम कदम मिलाते हो तब अच्छा लगता है.. सबपर प्यार लुटाना तो आदत है जैसे मेरी पर जब तुम हक से मुझ पर प्यार जताते हो तब अच्छा लगता है... यूँ तो घर की बेटी नहीं बेटा हूँ मैं पर जब जब तुम बिटिया मुझे बुलाते हो तब अच्छा लगता है हां तब तब अच्छा लगता है ©Anubha "Aashna"

#जज़्बात_ए_आश्ना #कविता  यूँ तो खुद में ही रहती हूँ बहुत व्यस्त पर 
जब तुम साथ वक़्त बिताते हो 
तब अच्छा लगता है..
यूँ तो  किसी से नही जरा भी हूँ मैं कम पर
जब इस बात पर तुम इतराते हो
तब अच्छा लगता है..
यू तो लड़ना सीखा है मैंने हालातो से खुद ही पर
जब साथ खड़े तुम हो जाते हो
तब अच्छा लगता है..
देर रात, वीरान सड़क पर जाने से नही डरती मैं पर
घर पहुँचाने साथ मेरे जब  तुम आते हो
तब अच्छा लगता है
आदत है मुझे अकेले हर सफर तय करने की पर
जाते जाते तक सारी हिदायतें  जब बार बार दोहराते हो 
तब अच्छा लगता है..
यूँ तो हूँ अचल, अड़िग, मजबूत बहुत मैं पर 
 सर रख अपने कांधे पर जब सहलाते हो
तब अच्छा लगता है..
भीड़ में घूरती निगाहों से फर्क नहीं पड़ता अब मुझको..
पर जब हाथ थाम मेरा तुम तेवर उन्हें दिखलाते हो 
तब अच्छा लगता है..
यूँ तो जीवन का हर निर्णय लेने में हूँ सक्षम मैं
पर उन पर आंख मूंद विश्वास जब तुम दिखलाते हो
तब अच्छा लगता है..r
 घर  के बाहर के सारे कामों को करती हूं मैं खुश होकर
पर छोटे छोटे कामों में जब तुम मेरा हाथ बटाते हो तब अच्छा लगता है..
यूँ तो हर गम सहना, और आंसू पीना सीखा है मैंने
पर मेरी एक हंसी के खातिर जब लाख जतन कर जाते हो, तब अच्छा लगता है
यूँ तो भरोसा खुद पर भरपूर है मुझको पर
जब तुम हौसला बढ़ाते हो तब अच्छा लगता है..
हालातों  से समझौता करना नहीं जानती मैं पर
उनसे लड़ने साथ मेरे  जब तुम डट जाते हो
तब अच्छा लगता है..
नहीं जानती थकना और रुक जाना मैं पर
हमसफर बन जब तुम कदम मिलाते हो 
तब अच्छा लगता है..
सबपर प्यार लुटाना तो आदत है जैसे मेरी
पर जब तुम हक से मुझ पर प्यार जताते हो
तब अच्छा लगता है...
यूँ तो घर की बेटी नहीं बेटा हूँ मैं पर
जब जब तुम बिटिया मुझे बुलाते हो 
तब अच्छा लगता है  हां तब तब अच्छा लगता है

©Anubha "Aashna"

कुछ यादें चुभती हैं ताउम्र नासूर बन कर सीने में... कुछ हादसे गुज़र कर भी ठहर जाते हैं जेहन में.. साथ रहते हैं क़ज़ा तक ! ... ©Anubha "Aashna"

#जज़्बात_ए_आशना #विचार #old_memories  कुछ यादें चुभती हैं ताउम्र
नासूर बन कर सीने में...
कुछ हादसे गुज़र कर भी
ठहर जाते हैं जेहन में..
साथ रहते हैं क़ज़ा तक !



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©Anubha "Aashna"

ये रात हमेशा ऐसे ही याद रहेगी शायद... 5 साल हो गए पर लगता है जैसे ये बात बीते कल की ही है कैसे तुमसे झगड़ा करना जिंदगी का अटूट हिस्सा बन चुका था, कैसे हम दोनों दोस्ती की कहानी एक साथ लिख रहे थे, एक लड़का और एक लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते, इस बात को तो जैसे दुनिया के सामने ग़लत साबित करने की कसम खा रखी थी तुमने.. तुम बताना चाहते थे कि दोस्ती लड़का या लड़की नहीं इंसान देखकर होती है.. तुम्हारी बातें आज भी ज़ेहन में उतनी ही ताज़ा है और आज भी लगता है अभी मेरा फोन बज उठेगा और दूसरी तरफ़ वही शिकायती लहज़े वाली आवाज़ होगी.. कुछ मलाल ताउम्र दिल में कसक बन कर रह जाते है ऐसा ही एक मलाल है उस रात तुम्हारे कहने के बाद भी तुमसे बात न कर पाने का.. जिंदगी किसी के जाने से नहीं रुकती पर कुछ कमियां जिंदगी भर खलती हैं तुम्हारा न होने से जो ख़ालीपन है उसे सारी जिंदगी नहीं भरा जा सकता न तुम्हारी यादों से, न किसी और कि दोस्ती से.. क्योंकि तुमसा तो कोई और हो ही नहीं सकता न.. झूठ नहीं कहूँगी अब भी तुम्हारी जरूरत है और अब भी तुम याद आते हो.. और अब भी मुझे इंतेज़ार है अपनी कहानी के अंत का.. हाँ मैं नही मानती की तुम्हारा यूँ चले जाना इस कहानी का अंत था.. इस कहानी का अंत तुम ही लिखोगे.. तब तक जहाँ हो ख़ुश ही हो ये यकीं है मुझे... आकाश पृथ्वी के हर कोने से जो नज़र आता है.. है ना.. तुम होगे तो यहीं इसी दुनिया में, किसी और रूप में, किसी और नाम के साथ.. पर मेरे लिए तुम आकाश हो,सदा के लिए.... तुम्हारे पसंदीदा रूमी के उस जहां में मेरा इंतेज़ार करना.. यहाँ से बहुत दूर , सही और गलत के पार एक मैदान है मैं तुम्हें वहाँ मिलूँगी.. अपनी कहानी का अंत लिखना बाकी है... ©Anubha "Aashna"

#ज़िन्दगी #deathanniversary #freindsforever #aakash  ये रात हमेशा ऐसे ही याद रहेगी शायद... 5 साल हो गए पर लगता है जैसे ये बात बीते कल की ही है कैसे तुमसे झगड़ा करना जिंदगी का अटूट हिस्सा बन चुका था, कैसे हम दोनों दोस्ती की कहानी एक साथ लिख रहे थे, एक लड़का और एक लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते, इस बात को तो जैसे दुनिया के सामने ग़लत साबित करने की कसम खा रखी थी तुमने.. तुम बताना चाहते थे कि दोस्ती लड़का या लड़की नहीं इंसान देखकर होती है.. तुम्हारी बातें आज भी ज़ेहन में उतनी ही ताज़ा है और आज भी लगता है अभी मेरा फोन बज उठेगा और दूसरी तरफ़ वही शिकायती लहज़े वाली आवाज़ होगी.. कुछ मलाल ताउम्र दिल में कसक बन कर रह जाते है ऐसा ही एक मलाल है उस रात तुम्हारे कहने के बाद भी तुमसे बात न कर पाने का.. जिंदगी किसी के जाने से नहीं रुकती पर कुछ कमियां जिंदगी भर खलती हैं तुम्हारा न होने से जो ख़ालीपन है उसे सारी जिंदगी नहीं भरा जा सकता न तुम्हारी यादों से, न किसी और कि दोस्ती से.. क्योंकि तुमसा तो कोई और हो ही नहीं सकता न.. झूठ नहीं कहूँगी अब भी तुम्हारी जरूरत है और अब भी तुम याद आते हो.. और अब भी मुझे इंतेज़ार है अपनी कहानी के अंत का.. हाँ मैं नही मानती की तुम्हारा यूँ चले जाना इस कहानी का अंत था.. इस कहानी का अंत तुम ही लिखोगे..  तब तक जहाँ हो ख़ुश ही हो ये यकीं है मुझे... आकाश पृथ्वी के हर कोने से जो नज़र आता है.. है ना.. तुम होगे तो यहीं इसी दुनिया में, किसी और रूप में, किसी और नाम के साथ.. पर मेरे लिए तुम आकाश हो,सदा के लिए.... तुम्हारे पसंदीदा रूमी के उस जहां में मेरा इंतेज़ार करना.. यहाँ से बहुत दूर , सही और गलत के पार एक मैदान है मैं तुम्हें वहाँ मिलूँगी.. अपनी कहानी का अंत लिखना बाकी है...

©Anubha "Aashna"

मेरे बेरंग ख्वाबों में जो, रंग सतरंगी भरता है.. वो इक लड़का न जाने, रंग कितने रखता है.. सबका साथ निभाने वाला, छोड़ कभी न जाने वाला.. खुद न जाने क्यूँ राहों पर, अक्सर ही तन्हा चलता है.. दर्द बाँटने वाला सबके, सबके दुखड़े सुनने वाला.. अपने हर ग़म से आख़िर, क्यूँ हरपल तन्हा लड़ता है.. चेहरे पर मुस्कानें रखता, अपने हर डर को ढँकता.. जाने क्या- क्या दिल में, अपने दफनाये फिरता है.. हर ग़म अब उसका जुदा हो, हर पल खुशियों से सजा हो.. उदास न अब हो कोई लम्हा, दिल मेरा बस ये दुआ करता है.. हर सपना उसका सच हो जाए, जो भी चाहे वो सबकुछ पा जाए.. शाद सुबह खुशनुमा रातें हो उसकी, वो आखिर पाक नियत रखता है.. वो लड़का जाने कितने रंग रखता है... ©Anubha "Aashna"

#कविता  मेरे बेरंग ख्वाबों में जो,
रंग  सतरंगी भरता है..
वो इक लड़का न जाने,
रंग  कितने  रखता है..
सबका साथ निभाने वाला,
छोड़ कभी न जाने वाला..
खुद न जाने क्यूँ राहों पर,
अक्सर ही तन्हा चलता है..
दर्द बाँटने वाला सबके,
सबके दुखड़े सुनने वाला..
अपने हर ग़म से आख़िर,
क्यूँ हरपल तन्हा लड़ता है..
चेहरे पर मुस्कानें रखता,
अपने हर डर को ढँकता..
जाने क्या- क्या दिल में,
अपने दफनाये फिरता है..
हर ग़म अब उसका जुदा हो,
हर पल खुशियों से सजा हो..
उदास न अब हो कोई लम्हा,
दिल मेरा बस ये दुआ करता है..
हर सपना उसका सच हो जाए,
जो भी चाहे वो सबकुछ पा जाए..
शाद सुबह खुशनुमा रातें हो उसकी,
वो आखिर पाक नियत रखता है..
वो लड़का जाने कितने रंग रखता है...

©Anubha "Aashna"

happy birhday...इकराश़

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