यूँ तो खुद में ही रहती हूँ बहुत व्यस्त पर
जब तुम साथ वक़्त बिताते हो
तब अच्छा लगता है..
यूँ तो किसी से नही जरा भी हूँ मैं कम पर
जब इस बात पर तुम इतराते हो
तब अच्छा लगता है..
यू तो लड़ना सीखा है मैंने हालातो से खुद ही पर
जब साथ खड़े तुम हो जाते हो
तब अच्छा लगता है..
देर रात, वीरान सड़क पर जाने से नही डरती मैं पर
घर पहुँचाने साथ मेरे जब तुम आते हो
तब अच्छा लगता है
आदत है मुझे अकेले हर सफर तय करने की पर
जाते जाते तक सारी हिदायतें जब बार बार दोहराते हो
तब अच्छा लगता है..
यूँ तो हूँ अचल, अड़िग, मजबूत बहुत मैं पर
सर रख अपने कांधे पर जब सहलाते हो
तब अच्छा लगता है..
भीड़ में घूरती निगाहों से फर्क नहीं पड़ता अब मुझको..
पर जब हाथ थाम मेरा तुम तेवर उन्हें दिखलाते हो
तब अच्छा लगता है..
यूँ तो जीवन का हर निर्णय लेने में हूँ सक्षम मैं
पर उन पर आंख मूंद विश्वास जब तुम दिखलाते हो
तब अच्छा लगता है..r
घर के बाहर के सारे कामों को करती हूं मैं खुश होकर
पर छोटे छोटे कामों में जब तुम मेरा हाथ बटाते हो तब अच्छा लगता है..
यूँ तो हर गम सहना, और आंसू पीना सीखा है मैंने
पर मेरी एक हंसी के खातिर जब लाख जतन कर जाते हो, तब अच्छा लगता है
यूँ तो भरोसा खुद पर भरपूर है मुझको पर
जब तुम हौसला बढ़ाते हो तब अच्छा लगता है..
हालातों से समझौता करना नहीं जानती मैं पर
उनसे लड़ने साथ मेरे जब तुम डट जाते हो
तब अच्छा लगता है..
नहीं जानती थकना और रुक जाना मैं पर
हमसफर बन जब तुम कदम मिलाते हो
तब अच्छा लगता है..
सबपर प्यार लुटाना तो आदत है जैसे मेरी
पर जब तुम हक से मुझ पर प्यार जताते हो
तब अच्छा लगता है...
यूँ तो घर की बेटी नहीं बेटा हूँ मैं पर
जब जब तुम बिटिया मुझे बुलाते हो
तब अच्छा लगता है हां तब तब अच्छा लगता है
©Anubha "Aashna"
#जज़्बात_ए_आश्ना