Rabindra Prasad Sinha

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White हे प्रभु, किसी हत्यारे को सब कुछ देना मगर मृत्यु मत देना किसी बलात्कारी को फूलों का गलीचा देना मगर हर फूल उसे बर्छी भाले की तरह चुभे हर आदमी को प्रेम करने का वह सलीका देना कि युद्ध भूमी में भी कर सके प्रेम ©Rabindra Prasad Sinha

#कविता #अ  White हे प्रभु,
किसी हत्यारे को
सब कुछ देना
मगर मृत्यु मत देना

किसी बलात्कारी को
फूलों का गलीचा देना
मगर हर फूल उसे
बर्छी भाले की तरह चुभे

हर आदमी को प्रेम करने का 
वह सलीका देना कि 
युद्ध भूमी में भी 
कर सके प्रेम

©Rabindra Prasad Sinha

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#शायरी #अ  White गणपति    बप्पा     मोरिया
देश   में   ये   क्या   होरिया

रात  तो  मुफ्त  में  दागी  है
दिन  में  नहीं  क्या  होरिया

काली लक्ष्मी हँसी खुशी है
खून      पसीना     रोरिया

महाकाल की नगरी में नर
रेप का विडिओ बनारिया

बप्पा  तुम  कब  आओगे
शिव  के  गण सब रोरिया

©Rabindra Prasad Sinha

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#कविता #अ  White डर
ये नहीं कि
इस देश में 
आ जायेगी तानाशाही

डर
इसका है कि 
मुँह,
कान 
और आँख 
होते हुये भी
गूंगों, 
बहरों 
और अंधो का
जमात न बन जाये

©Rabindra Prasad Sinha

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#कविता #अ  White देश जब गुलाम था
देश वासियों को समझाया गया,
गुलामी के घी से 
आजादी की घास अच्छी है

आजादी मिली तो जनता ने कहा,
हम आजाद हुये
अब घास खा कर भी 
सम्मान की जिन्दगी जीयेंगे

लेकिन, आह! 
कुछ लोगों ने 
जनता के हिस्से की घास पर
अपनी काली भैंसे छोड़ दी
भैंसे जनता के हिस्से की 
घास खा गयीं
भैंस के मालिकों ने 
भैंस का दूध दूहा
दूध का घी बनाया 
और पी गये
-हरिशंकर परसाई की रचना पर आधारित

©Rabindra Prasad Sinha

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#कविता #अ  White आओ नाग
स्वागत है तुम्हारा

पहले तो तुम रहते थे जंगलों में
फिर आये शहर में
फिर रहने लगे आस्तिनो में

और अब तो हो गये हो
ईश्वर की तरह सर्व व्यापी
संसद से सड़क तक है तुम्हारा राज

आओ नाग
कर लूँ तुम्हारी स्तुति
कर लूँ तुम्हारा अभिषेक
पिला दूँ तुम्हें पयोधि

बस इतनी ही विनती है कि
डँस लेना मुझे
मगर फूलों को दे देना अभयदान

©Rabindra Prasad Sinha

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#कविता #अ  White प्रेमी 
ढूंढ ही लेते हैं
प्रेम करने की जगह

नफरती 
को मिल ही जाता है
नफरत करने की वजह

युद्ध हो ही रहें हैं
दो दो महायुद्धों की 
महाविभिष्का के बाद भी

तानाशाह अब भी पैदा हो रहें हैं
जबकि ईतिहास में दर्ज है
उनकी आत्महत्या, हत्या और भगोड़ापन

दुनिया में 
ईतना कुछ हो चुका है कि
अब तक कोई नतीजा निकल जाना था

काश!

©Rabindra Prasad Sinha

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