उलझनों से दूर सुकून के पल बिताने को
तु एक बार समंदर के किनारे आजा।।
लहरों को अपने पैरों से छू जाने को
बैठ अकेले कुछ पल यूं हीं मुस्कराने को
तनहाई में दो गीत ही गुनगुनाने को
तु एक बार समंदर के किनारे आजा।।
उलझनों से दूर सुकून के पल बिताने को
तु एक बार समंदर के किनारे आजा।।
लहरों को अपने पैरों से छू जाने को
बैठ अकेले कुछ पल यूं हीं मुस्कराने को
तनहाई में दो गीत ही गुनगुनाने को
तु एक बार समंदर के किनारे आजा।।
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ये जो आग लगी है, सब धुआं धुआं सा हो गया है।
कोई इसको बुझाने का इंतजाम हीं कर दे।
मीलों की दूरी भी छालों के साथ चलने को मजबूर हैं,
पहुंचा दे इनको कोई मंजिल तक,
या इनपे दो रोटी का एहसान हीं कर दे।।
(Lockdown...😔😔)
सूरज चढ़ चुका है क्षितिज में ऊपर तक,
ये हवा भी ताजगी का एहसास लायी है,
रात भर देखे थे जो सपने नींद में,
उन सपनों को पूरा कर सकूं,
ये सुबह एक नए दिन का सौगात लायी है।
जो पीठ पिछे मेरी बुराई करे हर उस शख्स का तिरस्कार करता हूं।
मेरी गलतियों से मुझे अवगत कराए उन सभी का आभार करता हूं।
जो मेरे द्वार पधारे हर उस अतिथि का सत्कार करता हूं।
आप सभी प्रियजनों को सुबह का हार्दिक नमस्कार करता हूं।
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