🌷🙏🌷श्री सरस्वत्यै नमः🌷🙏🌷
करुणामयी हे शारदे माँ!, नव सृजन उपहार दो।
कर दूर मन अज्ञानता-घन, ज्ञान का भण्डार दो।।
आये शरण हम आपकी माँ!, ज्ञान की सत् दीप्ति दो।
कर-जोड़ विनती आपसे है, चित्त को नभ कीर्ति दो।।
साहित्य पथ पर नित चलें हम, बुद्धि मातु सँवार दो।
कर दूर मन अज्ञानता-घन, ज्ञान का भण्डार दो।।
.......... सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
©Satendra Sharma
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