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Ankur tiwari

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A science student with lot's of love in art's

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White परीक्षा भी नजदीक है और वेलेंटाइन भी स्टडी सिंगल भी हो रही है और कंबाइन भी बाबू सोना के नाम पर काटने वाली तो कई मिली पर अब तक नहीं मिली अपनी पंडिताइन भी ©Ankur tiwari

#शायरी #GoodNight  White परीक्षा भी नजदीक है और वेलेंटाइन भी 
स्टडी सिंगल भी हो रही है और कंबाइन भी
बाबू सोना के नाम पर काटने वाली तो कई मिली
पर अब तक नहीं मिली अपनी पंडिताइन भी

©Ankur tiwari

#GoodNight

13 Love

White वक्त के थपेड़ों से होकर मायूस जब वो टटोलते हैं जेब और लगता नहीं कुछ हाथ मां बाप बहन भाई सबके सपनों को लादे सर पर घूमते हैं परदेश में वो छोड़ कर अपना घर बाट मुफ़सिली में काटते हैं अपना दिन कभी वो सो जाते हैं फुटपाथ पर जब होती कहीं हैं रात औरत तो निकाल लेती है भड़ास अपना कहकर आदमी कह नहीं पाता हर किसी से अपने दिल के हालत रोने को तो वो भी चाहता हैं जी भर कर रोना ना मां बाप का कंधा हैं ना ही हैं भाई बहनों का साथ सुना हैं मनाई जाती हैं खुशियां उसके पैदा होने पर और होने लगती है जवानी में जिम्मेदारियों की बात अंजान नहीं होता है कोई मायका पुरुषों के पास यहां जहां कर सके वो बयां अपने दुःख दर्द और जज़्बात ©Ankur tiwari

#कविता #good_night  White वक्त के थपेड़ों से होकर मायूस जब वो 
टटोलते हैं जेब और लगता नहीं कुछ हाथ 
मां बाप बहन भाई सबके सपनों को लादे सर पर
घूमते हैं परदेश में वो छोड़ कर अपना घर बाट 
मुफ़सिली में काटते हैं अपना दिन कभी वो
सो जाते हैं फुटपाथ पर जब होती कहीं हैं रात 
औरत तो निकाल लेती है भड़ास अपना कहकर 
आदमी कह नहीं पाता हर किसी से अपने दिल के हालत 
रोने को तो वो भी चाहता हैं जी भर कर रोना 
ना मां बाप का कंधा हैं ना ही हैं भाई बहनों का साथ 
सुना हैं मनाई जाती हैं खुशियां उसके पैदा होने पर 
और होने लगती है जवानी में जिम्मेदारियों  की बात 
अंजान नहीं होता है कोई मायका पुरुषों के पास यहां 
जहां कर सके वो बयां अपने दुःख दर्द और जज़्बात

©Ankur tiwari

#good_night

11 Love

मैं भी एक इंसान हूं मेरे भी कुछ अरमान हैं सुनो अपनी जिंदगी संवार अपने सपनों को सजाऊंगी अब चुप नहीं रहूंगी चाहें करना ही पड़ें द्वंद्व भले जीतूंगी यह जंग पर मैं यूं हार नहीं मान जाऊंगी ©अंकुर तिवारी ©Ankur tiwari

#फीलिंग्स #कविता  मैं भी एक  इंसान हूं मेरे भी कुछ अरमान हैं सुनो
अपनी जिंदगी संवार अपने सपनों को सजाऊंगी 
अब चुप नहीं रहूंगी चाहें करना ही पड़ें द्वंद्व भले 
जीतूंगी यह जंग पर मैं यूं हार नहीं मान जाऊंगी
©अंकुर तिवारी

©Ankur tiwari

यूं न गुमसुम रहो, मुस्कुराया करो अपनी आंखों में काजल लगाया करो सादगी में लगती हो तुम मुझे परियों सी ही यूं पहनकर साड़ी कहर ना मचाया करो लाली बाली और बिंदिया सभी ठीक हैं यूं ना आंचल को अपने उड़ाया करो चूम लेता है बरबस ही गालों के तेरे अपने झुमके को जरा तुम डराया करो बोल दो अब बसंती हवा को भी तुम यूं ना जुल्फों को उसके संग उड़ाया करो यूं तो ना मिलने के है लाखों बहाने मगर पर फुरसत से रूबरू भी कभी आया करो अंकुर तिवारी । ©Ankur tiwari

#लव  यूं न गुमसुम रहो, मुस्कुराया करो 
अपनी आंखों में काजल लगाया करो 
सादगी में लगती हो तुम मुझे परियों सी ही
यूं पहनकर साड़ी कहर ना मचाया करो 
लाली बाली और बिंदिया सभी ठीक हैं 
यूं ना आंचल को अपने उड़ाया करो
चूम लेता है बरबस ही गालों के तेरे 
अपने झुमके को जरा तुम डराया करो
बोल दो अब बसंती हवा को भी तुम
यूं ना जुल्फों को उसके संग उड़ाया करो 
यूं तो ना मिलने के है लाखों बहाने मगर 
पर फुरसत से रूबरू भी कभी आया करो
अंकुर तिवारी










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©Ankur tiwari

#love

15 Love

Unsplash **सच्चाई के लोर** चलत रही सच्चाई संग पर,साथ केहू ना आइल हो फूल बिछवनी सबका खातिर,हमरे के कांट भेटाईल हो न दिल में कपट रहे हमारा,ना चाह ना कउनो स्वार्थ रहे करके मेहनत मजदूरी हम,परिवार के अपना साथ रहे लोगन के आंख में झूठ बाटे,मुस्कान त खाली देखावा बा कपड़ा खाली बा साफ़ मगर,दिल में बसल छलावा बा बेबस बानी,लाचार भी हम,कुछ हमरा नाहीं सूझत बा मोह भंग भइल समाज से मोर,अब दिलवा हमरो टूटत बा सच्चाई ईमानदारी त बस अब ,कहे सुने के खातिर बा झूठ फरेब के बस दौर चलत बा,दीन धर्म पइसा के थाती बा फिर भी दिल मोर न मानता,कइसे एके मनाई हम साच के राह बड़ी मुश्किल बा,एकरा कइसे समझाई हम जे सही रहल उहे चुनली,हर बार झूठ के ठुकरवली कसूर मोर बा एतने कि हम,होत गलत कब्बो न देख पवली लेकिन एक आस बाटे कि फिर,सच के नया विहान होई आज भले सच ग़च ना बा पर, एकरो फिर से कल्याण होई अंकुर तिवारी , ©Ankur tiwari

#कविता #Book  Unsplash **सच्चाई के लोर**  

चलत रही सच्चाई संग पर,साथ केहू ना आइल हो
फूल बिछवनी सबका खातिर,हमरे के कांट भेटाईल हो

न दिल में कपट रहे हमारा,ना चाह ना कउनो स्वार्थ रहे  
करके मेहनत मजदूरी हम,परिवार के अपना साथ रहे  

लोगन के आंख में झूठ बाटे,मुस्कान त खाली देखावा बा 
कपड़ा खाली बा साफ़ मगर,दिल में बसल छलावा बा

बेबस बानी,लाचार भी हम,कुछ हमरा नाहीं सूझत बा 
मोह भंग भइल समाज से मोर,अब दिलवा हमरो टूटत बा 

सच्चाई ईमानदारी त बस अब ,कहे सुने के खातिर बा 
झूठ फरेब के बस दौर चलत बा,दीन धर्म पइसा के थाती बा 

फिर भी दिल मोर न मानता,कइसे एके मनाई हम 
साच के राह बड़ी मुश्किल बा,एकरा कइसे समझाई हम
 
जे सही रहल उहे चुनली,हर बार झूठ के ठुकरवली 
कसूर मोर बा एतने कि हम,होत गलत कब्बो न देख पवली 

लेकिन एक आस बाटे कि फिर,सच के नया विहान होई 
आज भले सच ग़च ना बा पर, एकरो फिर से कल्याण होई
अंकुर तिवारी 













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©Ankur tiwari

#Book

15 Love

White स्वयं को सबसे होशियार और ताकतवर समझने की भूल मत करें क्योंकि कभी कभी शेर का शिकार लकड़बग्घे भी कर लेते है। ©Ankur tiwari

#मोटिवेशनल #good_night  White स्वयं को सबसे होशियार और ताकतवर समझने की भूल मत करें क्योंकि कभी कभी शेर का शिकार लकड़बग्घे भी कर लेते है।

©Ankur tiwari

#good_night

15 Love

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