NIDHI SINGH SONAM

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White मेरी काया, क्या जानी तुमने मेरी पीड़ा..? यात्राएं अनंत हो चुकी, आई सांझ की बेरा! मेरी काया, क्या जानी तुमने मेरी पीड़ा..? दिन बीत गया, बीत गई उम्र की रेखा। ये जन्म भी रिक्त गया! कब आएगा सजन का डेरा..? मेरी काया, क्या जानी तुमने मेरी पीड़ा..? ©NIDHI SINGH SONAM

#भक्ति #ibadat  White मेरी काया, क्या जानी
 तुमने मेरी पीड़ा..?
यात्राएं अनंत हो चुकी,
 आई सांझ की बेरा!
मेरी काया, क्या जानी 
तुमने मेरी पीड़ा..?
दिन बीत गया, 
बीत गई उम्र की रेखा।
ये जन्म भी रिक्त गया!
कब आएगा सजन का डेरा..?
मेरी काया, क्या जानी
तुमने मेरी पीड़ा..?

©NIDHI SINGH SONAM

#ibadat

16 Love

सारे बंधन छूट गए। जो निज बंधन से बांध गए तुम!! मोह कहूं कि प्रेम कहूं..? किन चिंतन में डाल गए तुम। देख गए जिन दृष्टियों से! पुष्प भांति खिल उठी मै!! किस वसंत की बात करूं मै!!! जो निज बंधन से बांध गए तुम!! छू गए तन ऐसे! निखर उठी मै अरनिमा सी! किस सौंदर्य की बात करूं मै!! सूक्ष्म से विस्तार हुई मै । मन पे ठहरी चैतन्याता! किस विधि की बात करूं मै!! किन चिंतन में डाल गए तुम!! बन बैठे हो अधर के गीत ! किस कोकिल की बात करूं मै!! सारे बंधन छूट गए। जो निज बंधन से बांध गए तुम!! ©NIDHI SINGH SONAM

#कविता #delusion  सारे बंधन छूट गए।
जो निज बंधन से बांध गए तुम!!
मोह कहूं कि प्रेम कहूं..?
किन चिंतन में डाल गए तुम।
देख गए जिन दृष्टियों से!
पुष्प भांति खिल उठी मै!!
 किस वसंत की बात करूं मै!!!
जो निज बंधन से बांध गए तुम!!
छू गए तन ऐसे!
निखर उठी मै अरनिमा सी!
किस सौंदर्य की बात करूं मै!!
सूक्ष्म से विस्तार हुई मै ।
मन पे ठहरी चैतन्याता!
 किस विधि की बात करूं मै!!
किन चिंतन में डाल गए तुम!!
बन बैठे हो अधर के गीत !
किस कोकिल की बात करूं मै!!
सारे बंधन छूट गए।
जो निज बंधन से बांध गए तुम!!

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#delusion

18 Love

White अंदर ही अंदर निरंतर युद्ध चलता है! स्वयं की जीत होती है, स्वयं ही से हारना पड़ता है !! है मार्ग में बाधक विभिन्न बाधाएं परन्तु चले हैं पत्थर को भी पानी किये हम [बनेंगे हर युग के निर्माण नायक हम] to be continued..... ©NIDHI SINGH SONAM

#विचार  White  अंदर ही अंदर निरंतर युद्ध चलता है!
स्वयं की जीत होती है, स्वयं ही से हारना पड़ता है !!
है मार्ग में बाधक विभिन्न बाधाएं 
परन्तु चले हैं पत्थर को भी पानी किये हम


[बनेंगे हर युग के निर्माण नायक हम]
to be continued.....

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White अंदर ही अंदर निरंतर युद्ध चलता है! स्वयं की जीत होती है, स्वयं ही से हारना पड़ता है !! है मार्ग में बाधक विभिन्न बाधाएं परन्तु चले हैं पत्थर को भी पानी किये हम [बनेंगे हर युग के निर्माण नायक हम] to be continued..... ©NIDHI SINGH SONAM

16 Love

White यूं तो जले हैं कई महबूब मेरे, तेरे नाम से ही !! शायद तू मुझे औसतन ही मिल गया होता।। ©NIDHI SINGH SONAM

#शायरी #love_shayari  White यूं तो जले हैं 
कई महबूब मेरे,
तेरे नाम से ही !!
 शायद तू मुझे औसतन ही
 मिल गया होता।।

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#love_shayari

20 Love

जो गुजरनी थी उम्र तेरी इबादत में, वही गुजर रही है तुझसे मुखबिरी करते!! ©NIDHI SINGH SONAM

#शायरी #lookingforhope  जो गुजरनी थी उम्र 
 तेरी इबादत में,
वही गुजर रही है तुझसे
मुखबिरी करते!!

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पुरष ने ईश्वर बनने को मार्ग चुना, महाभिनिष्क्रमण! स्त्री को स्त्री बने रहने को मिला घर का एक कोना!! पुरुष की पीड़ा लौकिक स्त्रियों की अलौकिक!! ©NIDHI SINGH SONAM

#विचार #aaina  पुरष ने ईश्वर बनने को 
मार्ग चुना, महाभिनिष्क्रमण!
स्त्री को स्त्री बने रहने को 
मिला घर का एक कोना!!
पुरुष की पीड़ा लौकिक 
स्त्रियों की अलौकिक!!

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#aaina

13 Love

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