जाने क्या खौफ हे जो सह रहे हैं हम
केसे कहें कि हद से गुजर रहे हैं हम
अब तुम मेरी ये आदतें न अपनाओं
महफिल में भी टूटकर रह रहे हैं हम
ज़ख्म कुरेदते हो तो कुरेद लो अब
ख़ैर दर्द में भी तो मुस्कुरा रहे हैं हम. #Shaayari
कुछ बातें दफ़न है दिल में आज भी
कुछ एहसास अब छिपा रहे हैं हम
किसकी बातें लेकर आ गए हो
लगता है तुम भी पगला गए हो
तुर्बत तक आए हो तो सुनो भी
खुश बेहद हो पर मुरझा गए हो
गैरों की आंखे भी मायूस कर दे
किसका डर है क्यों घबरा गए हो
परायों से भी कैसे अमन मिलता
जब अपनों से ही ग़म पा गए हो...
भरी दुनिया में किसी को अपना नहीं समझते हो
यकीनन तुम किसी को भी कुछ नहीं समझते हो
ख़ामोशी की जुबान तो दूर की बात हैं अमन
तुम तो आखों की भी जुबान नहीं समझते हो
#Yaad
तेरी गालियों का आवारा शाम हूं मैं
तेरे रूठने पर मनाने का अंजाम हूं मैं
तेरे आंखों से की गयी बातों का अल्फाज हूं मैं
उसके बाद जो उतरे जेहन में वो एहसास हूं मैं
और तेरी हर बातों का अटूट विश्वास हूं मैं
#Yaad आज मैंने कुदरत का एक नया तमाशा देख लिया
लोगों की भीड़ में मुर्दों के संघ फोटो खींचाता देख लिया...,
जिन्दा रहा तो क़दर न कि किसी ने भी
और मर गया तो उसकी याद में इमारत बनाता देख लिया...।
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