एक मुसाफ़िर आँसुओं से क़िताब लिख रहा है
उपर बैठा एक शख़्स अब हिसाब लिख रहा है,
बहुत चुभन भरी ज़िंदगी अदा कर के वो मुझे
जाने क्यूँ मेरी किस्मत को आबाद लिख रहा है!
#Shayari
ज़मी पे रहके आसमान के ख़्वाब देखता है
ये दिल सारे ख़्वाब ही नायाब देखता है
यूं तो सवाल हजारों कैद हैं उसके दिल में
मगर नजरो में छिपे वो जवाब देखता है
और वही मेरी राहों का कांटा बन गया है
जो मेरी नम आंखों में महताब देखता है
जाने क्या खौफ हे जो सह रहे हैं हम
केसे कहें कि हद से गुजर रहे हैं हम
अब तुम मेरी ये आदतें न अपनाओं
महफिल में भी टूटकर रह रहे हैं हम
ज़ख्म कुरेदते हो तो कुरेद लो अब
ख़ैर दर्द में भी तो मुस्कुरा रहे हैं हम. #Shaayari
कुछ बातें दफ़न है दिल में आज भी
कुछ एहसास अब छिपा रहे हैं हम
किसकी बातें लेकर आ गए हो
लगता है तुम भी पगला गए हो
तुर्बत तक आए हो तो सुनो भी
खुश बेहद हो पर मुरझा गए हो
गैरों की आंखे भी मायूस कर दे
किसका डर है क्यों घबरा गए हो
परायों से भी कैसे अमन मिलता
जब अपनों से ही ग़म पा गए हो...
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