Alone मुकम्मल नाम कमाना है
थोड़ा नहीं पूरा पाना है
मुंतज़िर राह देखें है कब
अपना वक़्त भी आना है
डगर ख़ुद ही बुला लेती है
जहाँ लिखा हमारा दाना है
मुझसे ये आईने ना छीनो
इनसे मैंने घर बनाना है
दिल बीमार इक अरसे से
सुना तुम्हारा दवाख़ाना है
लोग नोट के पीछे पीछे भागे
मुझे तो लोगो को कमाना है
इन रिवायतों से आगे बढ़ो
ये तो अब बीता ज़माना है
Puneet
Ye Rasta ye Bheed or Mai
Jane kab pahuche manjil apni
Sukoon mile shayad vaha
Ye soch kat rahi zindgi
Puneet
13 Love
तुम ही बताओ मरहम, कैसे ज़ख्म भरता है,
मेरा नमक अक्सर ही एहतिजाज करता है।
अब आँख से तो बस मेरी ये ख़ून गिरता है,
यारों बताओ, क्या अब ये आँसू काम करता है?
शैलेन्द्र जुयाल
हंसी क़ैद हैं ख़ुशी क़ैद है
जिधर देखो आदमी क़ैद है
बाहर मौत खड़ी बाहें फैलाए
घर के भीतर ज़िन्दगी क़ैद है
हस्पतालों में बांट रहे सौगातें
ईश्वर अल्लाह बेकसी क़ैद है
हरदम भागे नोट बटोरने को
वो अब देखों फ़ुर्सती क़ैद है
घरों में बोर होते अमीर जादे
झोंपड़ी में भूख मुद्दई क़ैद है
Puneet
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