तुम ही बताओ मरहम, कैसे ज़ख्म भरता है, मेरा नमक अक्स | हिंदी शायरी

"तुम ही बताओ मरहम, कैसे ज़ख्म भरता है, मेरा नमक अक्सर ही एहतिजाज करता है। अब आँख से तो बस मेरी ये ख़ून गिरता है, यारों बताओ, क्या अब ये आँसू काम करता है? शैलेन्द्र जुयाल"

 तुम ही बताओ मरहम, कैसे ज़ख्म भरता है,
मेरा नमक अक्सर ही एहतिजाज करता है।
 
अब आँख से तो बस मेरी ये ख़ून गिरता है,
यारों बताओ, क्या अब ये आँसू काम करता है?

शैलेन्द्र जुयाल

तुम ही बताओ मरहम, कैसे ज़ख्म भरता है, मेरा नमक अक्सर ही एहतिजाज करता है। अब आँख से तो बस मेरी ये ख़ून गिरता है, यारों बताओ, क्या अब ये आँसू काम करता है? शैलेन्द्र जुयाल

बस एक सोच....

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