हंसी क़ैद हैं ख़ुशी क़ैद है
जिधर देखो आदमी क़ैद है
बाहर मौत खड़ी बाहें फैलाए
घर के भीतर ज़िन्दगी क़ैद है
हस्पतालों में बांट रहे सौगातें
ईश्वर अल्लाह बेकसी क़ैद है
हरदम भागे नोट बटोरने को
वो अब देखों फ़ुर्सती क़ैद है
घरों में बोर होते अमीर जादे
झोंपड़ी में भूख मुद्दई क़ैद है
Puneet
क़ैद है....