White पेडों का बड़पन है के आरी अच्छी चल रही है
ठीक से कट रहे है दिन, गुजारी अच्छी चल रही है
बिस्तर समेत रहे हैं मगर सलवटे निकल नहीं रही
बस लौटने ही वाले है हम, त्यारी अच्छी चल रही है
मैदान ऐ जंग में उतरे हैं सर उतरने के इंतजार में
तलवारे छीन चुकी है शाहसवारी अच्छी चल रही है
अब तो खेल खत्म होने को है ,परदे गिरने वाले है
तमाशबीन है दुनिया, अदाकारी अच्छी चल रही है
कभी जिंदगी भारी पड़ी मुझपे कभी जिंदगी पर मैं
कीमत अदा नहीं हो रही उधारी अच्छी चल रही है
और तो क्या ही होना था महोब्बत में बिछड़कर
हां बस इतना है के गजलकारी अच्छी चल रही है
©Perminder Singh
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