*मुक्तक*
(सादर समीक्षार्थ प्रस्तुत है आपके सामने एक मुक्तक,
यथासम्भव सुधार करने की कृपा करें।)
कोई सोता है महलों में, कोई सोता है फुटपाथों पर ।
कोई सोता है मिट्टी पर, कोई सोता है नोटों पर ।।
वक्त-वक्त की बात है दोस्तों यह तो वरना,
करोड़ों वाला भी किसी दिन होता है रोड़ों पर ।।
©®
*कवि कृष्ण कुमार सैनी "राज"
दौसा,राजस्थान मो.97855-23855*
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