*मुक्तक* (सादर समीक्षार्थ प्रस्तुत है आपके सामने | हिंदी कविता

"*मुक्तक* (सादर समीक्षार्थ प्रस्तुत है आपके सामने एक मुक्तक, यथासम्भव सुधार करने की कृपा करें।) कोई सोता है महलों में, कोई सोता है फुटपाथों पर । कोई सोता है मिट्टी पर, कोई सोता है नोटों पर ।। वक्त-वक्त की बात है दोस्तों यह तो वरना, करोड़ों वाला भी किसी दिन होता है रोड़ों पर ।। ©® *कवि कृष्ण कुमार सैनी "राज" दौसा,राजस्थान मो.97855-23855*"

 *मुक्तक*

(सादर समीक्षार्थ प्रस्तुत है आपके सामने एक मुक्तक,
यथासम्भव सुधार करने की कृपा करें।)


कोई सोता है महलों में, कोई सोता है फुटपाथों पर ।

कोई सोता है मिट्टी पर, कोई सोता है नोटों पर ।।

वक्त-वक्त की बात है दोस्तों यह तो वरना,

करोड़ों वाला भी किसी दिन होता है रोड़ों पर ।।

©®

*कवि कृष्ण कुमार सैनी "राज"
दौसा,राजस्थान मो.97855-23855*

*मुक्तक* (सादर समीक्षार्थ प्रस्तुत है आपके सामने एक मुक्तक, यथासम्भव सुधार करने की कृपा करें।) कोई सोता है महलों में, कोई सोता है फुटपाथों पर । कोई सोता है मिट्टी पर, कोई सोता है नोटों पर ।। वक्त-वक्त की बात है दोस्तों यह तो वरना, करोड़ों वाला भी किसी दिन होता है रोड़ों पर ।। ©® *कवि कृष्ण कुमार सैनी "राज" दौसा,राजस्थान मो.97855-23855*

@Madhu Kaur @Nitesh Kumar OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की) @zindgi_ki_baat @Namita

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