Nik JAT

Nik JAT Lives in Bhopal, Madhya Pradesh, India

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White मुस्कुरा कर बदल दी जिंदगी हमने, जिसे रो कर गुजर रहे थे....! ©Nik JAT

#cg_forest  White मुस्कुरा कर बदल दी जिंदगी हमने,
जिसे रो कर गुजर रहे थे....!

©Nik JAT

#cg_forest

2 Love

शांत झील का कंचन पानी, कितनी प्यारी थी, मेरी नानी...!😒 मंद - मंद मुस्कान थी जिसकी, बच्चों में ही जान थी जिसकी...!!😔 मेरी मां की प्यारी मां थी, और हम सब की वो नानी मां थी...!!!🙏 🙏ओम शांति 🙏 ©Nik JAT

#Nani  शांत झील का कंचन पानी,
कितनी प्यारी थी, मेरी नानी...!😒

मंद - मंद मुस्कान थी जिसकी,
बच्चों में ही जान थी जिसकी...!!😔

मेरी मां की प्यारी मां थी,
और हम सब की वो नानी मां थी...!!!🙏

🙏ओम शांति 🙏

©Nik JAT

#Nani

14 Love

White लिहाज उम्र का करते रहे उम्र भर, जनाब उम्र गुजर गई, लहजा नहीं बदला...! ©Nik JAT

#short_shyari  White लिहाज उम्र का करते रहे उम्र भर,
जनाब उम्र गुजर गई, लहजा नहीं बदला...!

©Nik JAT

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मुस्कान इतनी प्यारी, जैसे-फूलों की सुंदर सी फुलवारी, स्वभाव इतना शीतल, जैसे-कड़ी धूप में इकलौता हरा -भरा पीपल, वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, नादान से बच्चे की तरह करते थे बातें, कभी -कभी बातें ऐसी, जैसे - नासमझी से ज़िंदगी की कहानी सुना रहे हों, रूठना तो उन्हें,क्या खूब आता था, कहीं उनकी तबियत खराब ना हो जाएं, ये सोच कर जब पापा, घर से बाहर जाने को मना करते थे, फिर देखो उनका ड्रामा - कैसे गुस्से से मुंह फूला कर नाक सुकड़ते थे। रूठना तो उन्हें, क्या खूब आता था, जब वो कहीं जाते तो घर सुना  कर जाते, हर शक्श की नज़रे उन्हीं को तलाश करती, याद उन्हीं को करके, बस उन्हीं की बात करती। वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं, उदासी का मंजर,काले बादलों को तरह छा रहा था। बुरे विचारो का सैलाब, तेजी से आ रहा था, और घर हर शक्श झूठा सा मुस्कुरा रहा था। जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मेरी कविता के हर किस्से, उन्हीं की जिंदगी के हैं हिस्से। ©Nik JAT

#प्यारे  वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,
मुस्कान इतनी प्यारी, जैसे-फूलों की सुंदर सी फुलवारी,
स्वभाव इतना शीतल, जैसे-कड़ी धूप में इकलौता हरा -भरा पीपल,

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,

नादान से बच्चे की तरह करते थे बातें, कभी -कभी
बातें ऐसी, जैसे - नासमझी से ज़िंदगी की कहानी सुना रहे हों,

रूठना तो उन्हें,क्या खूब आता था,

कहीं उनकी तबियत खराब ना हो जाएं,
ये सोच कर जब पापा, घर से बाहर जाने को मना करते थे,
फिर देखो उनका ड्रामा - कैसे गुस्से से मुंह फूला कर नाक सुकड़ते थे।

रूठना तो उन्हें, क्या खूब आता था,

जब वो कहीं जाते तो घर सुना  कर जाते,
हर शक्श की नज़रे उन्हीं को तलाश करती,
याद उन्हीं को करके, बस उन्हीं की बात करती।

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,

जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं,
उदासी का मंजर,काले बादलों को तरह छा रहा था।
बुरे विचारो का सैलाब, तेजी से आ रहा था,
और घर हर शक्श झूठा सा मुस्कुरा रहा था।

जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं

वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत,

मेरी कविता के हर किस्से, उन्हीं की जिंदगी के हैं हिस्से।

©Nik JAT

#प्यारे बाबा

11 Love

गुजर रहा है वक्त, सुकून की तलाश में, . ©Nik JAT

#वक्त  गुजर रहा है वक्त,
सुकून की तलाश में,
.

©Nik JAT

#वक्त

17 Love

ज़िंदगी जी कर, गुजारनी पड़ती है...! आसान नही मौत को पाना...!! ©Nik JAT

#मौत  ज़िंदगी जी कर, गुजारनी पड़ती है...!
आसान नही मौत को पाना...!!

©Nik JAT

#मौत

19 Love

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