#शून्य राणा

#शून्य राणा

रंग का काला हूं,,मिलावट से दूर रहता हूं,,, मैं लिखता हूं शराब पर ,,जिंदगी नशे में बसर हो ,,मैं इश्क के अलफाजों की लिखावट से दूर रहता हूं।।

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Unsplash आखिरी पन्ना ,,जिंदगी का पढ़ पाओ तो बताना क्या मैं फिर से लिखना शुरू करूं। ©#शून्य राणा

#Book  Unsplash  आखिरी पन्ना ,,जिंदगी का पढ़ पाओ तो बताना क्या मैं फिर से लिखना शुरू करूं।

©#शून्य राणा

#Book

15 Love

#दुल्हन #शराब

White सुना है ,,तलाश करती हो मुझे अब भी ,,,,अब भी तुम मेरा कितना ख्याल करती हो ।। अरे मैं चोट खाकर गुमनाम हो जाऊं,,मर्जी थी तुम्हारी ,,,फिर तुम कैसा मलाल करती हो ।। पूछती हो मैं टूटा टूटा क्यों फिरता हूं,,ये तुम कैसा सवाल करती हो ,, पत्थर हाथ में लेकर निशाना ढूंढ रही हो ,,तुम भी कमाल करती हो ।। जानता हूं,,एक अरसे से तुम खेली नहीं ,,तुम्हे खिलौना चाहिए ,,,और ये भी जानता हूं,,खेलने के बाद तुम कितना बुरा हाल करती हो ।। # आहिस्ता आहिस्ता खींचती हो तुम बाजुओं में ,,आहिस्ता आहिस्ता कैसे हलाल करती हो ।। पत्थर हाथ में लेकर निशाना ढूंढ रही हो,,,तुम भी कमाल करती हो । सुना है तलाश करती हो मुझे अब भी ।। ©#शून्य राणा

#सवाल #हलाल #मलाल  White सुना है ,,तलाश करती हो मुझे अब भी ,,,,अब भी तुम मेरा कितना ख्याल करती हो ।।
अरे मैं चोट खाकर गुमनाम हो जाऊं,,मर्जी थी तुम्हारी ,,,फिर तुम कैसा मलाल करती हो ।।
पूछती हो मैं टूटा टूटा क्यों फिरता हूं,,ये तुम कैसा सवाल करती हो ,, पत्थर हाथ में लेकर निशाना ढूंढ रही हो ,,तुम भी कमाल करती हो ।।
जानता हूं,,एक अरसे से तुम खेली नहीं ,,तुम्हे खिलौना चाहिए ,,,और ये भी जानता हूं,,खेलने के बाद तुम कितना बुरा हाल करती हो ।।
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आहिस्ता आहिस्ता खींचती हो तुम बाजुओं में ,,आहिस्ता आहिस्ता कैसे हलाल करती हो ।।
पत्थर हाथ में लेकर निशाना ढूंढ रही हो,,,तुम भी कमाल करती हो ।
सुना है तलाश करती हो मुझे अब भी ।।

©#शून्य राणा

#हलाल #सवाल #मलाल @Sircastic Saurabh विवेक ठाकुर 'शाद' katha (कथा ) @Munni नीर

26 Love

White G,,,सुनो तुम ,,कुछ देर ओर ठहर जाओ न ,,मुझपे यूं कहर ढ़ाओ न ,,देखो इस रात ने चांदनी की चादर फिर से पहनी है ,, मौजूदगी में तारों की ,,मुझे तुमसे इक बात कहनी है ।। # B,,, अरे अरे कोई और मतलब रह गया बाकी ,, चलो फिर फिर शौक से कह दो न,,मेरे एहसास मत छेड़ो,, और इस चांदनी की चादर को दिलासों की तह दो न ,, गर करनी है महज बाते ,,,बताओ इन बातों में रखा क्या ।। # G,, क्यों हो गए पत्थर,, टूटकर फिर से तुम बिखर अब क्यों नहीं जाते ,, ज़रा झांको मेरी आंखों ,,ओर खुद को फिर से देखो न ,, पलकों पर जज़्बात है ठहरे ,तुम्हे क्यों नजर नहीं आते ।। # B,,, तेरी पलकों पे ,,फरेब की मानिंद नजर आते है ये आंसू,, गर मुझमें बचा हो अब,, इश्क ए हौसला तो ताकूं,, सुनो मुझको लुभाओ न ,,अपनी इन मीठी बातों से ,, गर ये वही जज्बात है तेरे ,, बताओ इन जज्बातों में है रखा क्या।। # G,,, सुनो तुम मान जाओ न ,,रात बहुत चुकी गहरी ,,मेरे लबों पर अब भी काबिज़ है ,,,जो बाते न हो सकी पूरी ,,कैसे तनहा चलोगे तुम ,,कैसे घर को जाओगे ,, इस से अच्छा अभी ठहरो,,तुम वापस लौट आओगे ।। # B,,, ये हमदर्दी कुछ पल की ,,लगी बिल्कुल नहीं अच्छी ,,हां तुम अब भी झूठी हो ,,,लगी बिल्कुल नहीं सच्ची ,,मुझे मेरे चेहरे से नफरत है ,,मैं आईने तोड़ बैठा हूं,, राहों में तनहा सायों से ,,मैं नाते जोड़ बैठा हूं,,ये रातें है महज रातें,,बताओ इन रातों में है रखा क्या ।। # G,,, चलो मैं मान लेती हूं,, जिद तुम अपनी ही करते हो ,,खुश रहते हो तनहा तुम ,,इश्क अंधेरों से करते हो ,,बताओ जब तुम सूरज की पहली किरण के साथ मेरे गली से गुजरोगे,,मुझे छत पर देखकर तुम ,,क्या फिर से मुस्कुराओगे ,,कहो मुझसे मिलोगे या ,,फिर वही नखरे दिखाओगे।। # B,,, मैं ऐसे सफ़र पे हूं,, जहां रस्ते में अब तेरा घर नहीं आता ,,मेरे दरमियां बहती है सौंदी सी इक खुश्बू,,ख्यालों में रहती है मयखाने की वो चौखट ,,मेरे ज़हन में चाहकर भी अब तेरा दर नहीं आता ,, हां तुम्हे मैं यादों में रखूंगा तेरे किस्से सुनाऊंगा ,,मैं लौटना चाहूं तो भी न लौट पाऊंगा,,वो मुलाकातें थी महज मुलाकातें ,,,बताओ अब मुलाकातों में है रखा क्या । ©#शून्य राणा

 White G,,,सुनो तुम ,,कुछ देर ओर ठहर जाओ न ,,मुझपे यूं कहर ढ़ाओ न ,,देखो इस रात ने चांदनी की चादर फिर से पहनी है ,, मौजूदगी में तारों की ,,मुझे तुमसे इक बात कहनी है ।।
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B,,, अरे अरे कोई और मतलब रह गया बाकी ,, चलो फिर फिर शौक से कह दो न,,मेरे एहसास मत छेड़ो,, और इस चांदनी की चादर को दिलासों की तह दो न ,, गर करनी है महज बाते ,,,बताओ इन बातों में रखा क्या ।।
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G,, क्यों हो गए पत्थर,, टूटकर फिर से तुम बिखर अब क्यों नहीं जाते ,, ज़रा झांको मेरी आंखों ,,ओर खुद को फिर से देखो न ,, पलकों पर जज़्बात है ठहरे ,तुम्हे क्यों नजर नहीं आते ।।
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B,,, तेरी पलकों पे ,,फरेब की मानिंद नजर आते है ये आंसू,, गर मुझमें बचा हो अब,, इश्क ए हौसला तो ताकूं,, सुनो मुझको लुभाओ न ,,अपनी इन मीठी बातों से ,, गर ये वही जज्बात है तेरे ,, बताओ इन जज्बातों में है रखा क्या।।
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G,,, सुनो तुम मान जाओ न ,,रात बहुत चुकी गहरी ,,मेरे लबों पर अब भी काबिज़ है ,,,जो बाते न हो सकी पूरी ,,कैसे तनहा चलोगे तुम ,,कैसे घर को जाओगे ,, इस से अच्छा अभी ठहरो,,तुम वापस लौट आओगे ।।
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B,,, ये हमदर्दी कुछ पल की ,,लगी बिल्कुल नहीं अच्छी ,,हां तुम अब भी झूठी हो ,,,लगी बिल्कुल नहीं सच्ची ,,मुझे मेरे चेहरे से नफरत है ,,मैं आईने तोड़ बैठा हूं,, राहों में तनहा सायों से ,,मैं नाते जोड़ बैठा हूं,,ये रातें है महज रातें,,बताओ इन रातों में है रखा क्या ।।
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G,,, चलो मैं मान लेती हूं,, जिद तुम अपनी ही करते हो ,,खुश रहते हो तनहा तुम ,,इश्क अंधेरों से करते हो ,,बताओ जब तुम सूरज की पहली किरण के साथ मेरे गली से गुजरोगे,,मुझे छत पर देखकर तुम ,,क्या फिर से मुस्कुराओगे ,,कहो मुझसे मिलोगे या ,,फिर वही नखरे दिखाओगे।।
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B,,, मैं ऐसे सफ़र पे हूं,, जहां रस्ते में अब तेरा घर नहीं आता ,,मेरे दरमियां बहती है सौंदी सी इक खुश्बू,,ख्यालों में रहती है मयखाने की वो चौखट ,,मेरे ज़हन में चाहकर भी अब तेरा दर नहीं आता ,, हां तुम्हे मैं यादों में रखूंगा तेरे किस्से सुनाऊंगा ,,मैं लौटना चाहूं तो भी न लौट पाऊंगा,,वो मुलाकातें थी महज मुलाकातें ,,,बताओ अब मुलाकातों में है रखा क्या ।

©#शून्य राणा

#शराब @Lamha @Katha Dheeraj Bakshi @Chocolate @Haal E Dil

21 Love

White ये ग़म नहीं है ,,,,बस इक चलन पुराना निभा रहा हूं।। लोग कहते है शराबी,,सच में सुकून मिलता है ,,,सोचो किस कदर मैं ,,शराब से याराना निभा रहा हूं।। 🥃🥃🥃🥃🥃🥃 ©#शून्य राणा

#शराब #SAD  White ये ग़म नहीं है ,,,,बस इक चलन पुराना निभा रहा हूं।।

लोग कहते है शराबी,,सच में सुकून मिलता है  ,,,सोचो किस कदर मैं ,,शराब से याराना निभा रहा हूं।।
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©#शून्य राणा

सुबह - सुबह दौर ए शराब,,वाह क्या बात है , गले से उतरते एक एक कतरे का हिसाब ,,वाह क्या बात है ।। # खुद ही बारिश ,,,खुद ही आतिश,, भीगकर शराबियों को ,,फिर खुद ही जलना जनाब,,, वाह क्या बात है ।। # खुद ही साहिल ,,खुद ही सागर ,,,खुद ही शबनम खुद ही गागर ,,और फिर खुद ही खुद को पीना बेहिसाब,,,, वाह क्या बात है ।। # खुद ही सेहरा ,,खुद ही प्यास ,,खुद ही बंजर और फिर खुद की आस,,सुखी रेत पर बरस गया पानी जैसे ,,ऐसा मौसम खराब ,,,वाह क्या बात है ।। # खुद की महफिल ,,खुद ही शायर,,खुद की नज्में ,,खुद की बहर ,,खुद की गज़लें,खुद के मीटर ,,और फिर खुद की तारीफें खुद से ही जनाब ,, वाह क्या बात है ।। # खाली पड़े जिस्म में रूह की जगह तू ,,राणा ,,और तेरी जगह शराब ,,वाह क्या बात है ,, सुबह सुबह दौर ए शराब,,वाह क्या बात है ।। ©#शून्य राणा

 सुबह - सुबह दौर ए शराब,,वाह क्या बात है ,
गले से उतरते एक एक कतरे का हिसाब ,,वाह क्या बात है ।।
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खुद ही बारिश ,,,खुद ही आतिश,, भीगकर शराबियों को ,,फिर खुद ही जलना जनाब,,, वाह क्या बात है ।।
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खुद ही साहिल ,,खुद ही सागर ,,,खुद ही शबनम खुद ही गागर ,,और फिर खुद ही खुद को पीना बेहिसाब,,,, वाह क्या बात है ।।
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खुद ही सेहरा ,,खुद ही प्यास ,,खुद ही बंजर और फिर खुद की आस,,सुखी रेत पर बरस गया पानी जैसे ,,ऐसा मौसम खराब ,,,वाह क्या बात है ।।
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खुद की महफिल ,,खुद ही शायर,,खुद की नज्में ,,खुद की बहर ,,खुद की गज़लें,खुद के मीटर ,,और फिर खुद की तारीफें खुद से ही जनाब ,, वाह क्या बात है ।।
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खाली पड़े जिस्म में रूह की जगह तू ,,राणा ,,और तेरी जगह शराब ,,वाह क्या बात है ,, सुबह सुबह दौर ए शराब,,वाह क्या बात है ।।

©#शून्य राणा

#sharab नीर बाबा ब्राऊनबियर्ड शिवम् सिंह भूमि @R Ojha विवेक ठाकुर 'शाद'

30 Love

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