कलम और किताब आज एक बार फिर दामन थाम लिया हैं तेरा..
दिल मे हर शख्स के रुह बसर करने के हौसले की मिशाल दम से ही तो हैं तेरे..
मेरी प्यारी कलमmiss uhh alot
रंग और रूप आज रात हैं तो कल सवेरा आयेगा..
थककर नहीं तुझे हौसलों से अपना मुकाम पाना हैं..
डूंड कर तुझे अपनी मंजिल को ही पाना हैं..
मत डर इन मुश्किलों से तुझे आज इनको हराना हैं..
कर ले बगाबत उस अजीज-ए-खास से इतनी मेरे काफिर..
खो गया है जो उसे तुझे हाथ पकड़कर अपने घर को लाना हैं..
dedicated to sonika didi
ख़्वाब और ख़्याल आज रात ख्वाब और ख्याल को एक साथ ऐसे जोड़ जायेंगे..
सोयेंगे इतनी गहरी नींद मे ऐ मेरे खुदा..
सारी मुश्कालात से आज आजाद हो जायेंगे..
ना करेंगे अब कोई फरियाद तुझसे..
तेरे हुजूम-ए-इजारत में पनाहगार बन जायेंगे..
प्रियंका कार्तिकेय
झूठ और सच एक झूठ कहू मुझे तेरी बहुत चाहत हैं ऐ जिंदगी..
एक सच कहू ना मुरादी हो गया हू तेरी चाहत-ए-उल्फत में ऐ जिंदगी..
ना काबिल ही सही पर तेरा मुजाफिर हो गया हूं..
ना गवारा हैं मुझे तेरा मुझसे नजरे चुराना..
तेरी खातिर ही सही अब ये काफिर आज तुझसे नजर मिलायेंगा..
मिटाकर खुद की हस्ती आज तुझमे ही खाक हो जायेगा..
प्रियंका कार्तिकेय
जर्रा जर्रा डूब रहा मेरा तुझमें..
गहराई सी बढ चली मेरी खमोशी..
रुह को भी मेरी निचोड जाती हैं..
कहते कहते ना जाने मेरी जुबान क्यों..
चुप सी हो जाती हैं..
तकलीफ की इंतहा तो देखो मेरे गालिब़
मेरी मुस्काराहट में भी ये तफशीन हो जाती हैं..
प्रियंका कार्तिकेय
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