प्रतिमा कुमार यादव

प्रतिमा कुमार यादव

मैं नीर भरी दुख की बदली

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Unsplash सर :- भूखे प्यासे 5-6 घंटा क्यों लगे रहते हो?? मैं :- सर जी भूखे प्यासे हैं तभी तो 5 - 6 घंटा लगे है अगर पेट भरा ही होता तो इतनी मेहनत क्यों करते??????? ©प्रतिमा कुमार यादव

#मोटिवेशनल #library  Unsplash सर  :-  भूखे प्यासे 5-6 घंटा क्यों लगे रहते हो??




मैं  :-    सर जी भूखे प्यासे हैं तभी तो 5 - 6 घंटा 
लगे है अगर पेट भरा ही होता
 तो इतनी मेहनत 
क्यों करते???????

©प्रतिमा कुमार यादव

#library

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जनाब कहते है मुझे कि "तुम्हें पद, प्रतिष्ठा, पैसों की कीमत है इंसानों का नही" तो श्रीमान थोड़ा गौर फरमाएं इश्क मोहब्बत दिल से होती है पर पेट को भूख लगती है दिल को दीवानगी और दिलग्गी चाहिए पर पेट तो भोजन खाता है और मेरा बात मानिए कि जब पेट भरा होता है तब ही हमें इश्क होता है ©प्रतिमा कुमार यादव

#शायरी  जनाब कहते है मुझे कि
"तुम्हें पद, प्रतिष्ठा, पैसों की कीमत है
इंसानों का नही"
तो श्रीमान थोड़ा गौर फरमाएं

इश्क मोहब्बत दिल से होती है
पर पेट को भूख लगती है
दिल को दीवानगी और दिलग्गी चाहिए 
पर पेट तो भोजन खाता है
और मेरा बात मानिए कि
जब पेट भरा होता है 
तब ही हमें इश्क होता है

©प्रतिमा कुमार यादव

जनाब कहते है मुझे कि "तुम्हें पद, प्रतिष्ठा, पैसों की कीमत है इंसानों का नही" तो श्रीमान थोड़ा गौर फरमाएं इश्क मोहब्बत दिल से होती है पर पेट को भूख लगती है दिल को दीवानगी और दिलग्गी चाहिए पर पेट तो भोजन खाता है और मेरा बात मानिए कि जब पेट भरा होता है तब ही हमें इश्क होता है ©प्रतिमा कुमार यादव

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हवाओं में बहेंगे घटाओं में रहेंगे तू बरखा मेरी मैं तेरा बादल पिया जो तेरे ना हुवे तो किसी के ना रहेंगे दीवानी तू मेरी मैं तेरा पागल पिया हज़ारों में किसी को तक़दीर ऐसी मिली है इक राँझा और हीर जैसी ना जाने ये ज़माना क्यों चाहे रे मिटाना कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया ©प्रतिमा कुमार यादव

#कविता  हवाओं में बहेंगे घटाओं में रहेंगे
तू बरखा मेरी मैं तेरा बादल पिया
जो तेरे ना हुवे तो किसी के ना रहेंगे
दीवानी तू मेरी मैं तेरा पागल पिया
हज़ारों में किसी को तक़दीर ऐसी
मिली है इक राँझा और हीर जैसी
ना जाने ये ज़माना क्यों चाहे रे मिटाना
कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया
कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया

©प्रतिमा कुमार यादव

हवाओं में बहेंगे घटाओं में रहेंगे तू बरखा मेरी मैं तेरा बादल पिया जो तेरे ना हुवे तो किसी के ना रहेंगे दीवानी तू मेरी मैं तेरा पागल पिया हज़ारों में किसी को तक़दीर ऐसी मिली है इक राँझा और हीर जैसी ना जाने ये ज़माना क्यों चाहे रे मिटाना कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया कलंक नहीं इश्क़ है काजल पिया ©प्रतिमा कुमार यादव

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Unsplash ऊंघता हुआ यूंही किताबों के बीच कुछ खयाल आ गए क्या - क्या पाए है क्या कुछ छोड़ आए पीछे देखूं मुड़कर या आगे बढूं जरा फिर यूंही किताबो में ही लौट आए ©प्रतिमा कुमार यादव

#शायरी #library  Unsplash ऊंघता हुआ 
यूंही किताबों के बीच 
कुछ खयाल आ गए
क्या  -   क्या पाए है
क्या कुछ छोड़ आए
पीछे देखूं मुड़कर
या आगे बढूं जरा
फिर यूंही
 किताबो में ही लौट आए

©प्रतिमा कुमार यादव

#library

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Unsplash जिंदगी उस मोड़ पर है कि दो ही बातें समझ आ राही है या तो पन्ना पलटकर आगे बढ़ू या किताब बंद कर सब कुछ खत्म कर दूं ©प्रतिमा कुमार यादव

#विचार #Book  Unsplash जिंदगी उस मोड़ पर है कि
दो ही बातें समझ आ राही है
या तो पन्ना पलटकर आगे बढ़ू
या किताब बंद कर
 सब कुछ खत्म कर दूं

©प्रतिमा कुमार यादव

#Book

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ना वो रूढ़ा था ना हम खफा हुए थे वफा की इस कहानी में ना जाने कैसे हम जुदा हुए थे जन्मों के साथ इसी जन्म में हम बिछड़े थे वादें मुझे याद थी और वो भी न भूले थे ©प्रतिमा कुमार यादव

#शायरी  ना वो रूढ़ा था 
ना हम खफा हुए थे
वफा की इस कहानी में
ना जाने कैसे हम जुदा हुए थे
जन्मों के साथ इसी जन्म में हम बिछड़े थे 
वादें मुझे याद थी  और वो भी न भूले थे

©प्रतिमा कुमार यादव

ना वो रूढ़ा था ना हम खफा हुए थे वफा की इस कहानी में ना जाने कैसे हम जुदा हुए थे जन्मों के साथ इसी जन्म में हम बिछड़े थे वादें मुझे याद थी और वो भी न भूले थे ©प्रतिमा कुमार यादव

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