Unsplash ऊंघता हुआ यूंही किताबों के बीच कुछ खयाल | हिंदी शायरी

"Unsplash ऊंघता हुआ यूंही किताबों के बीच कुछ खयाल आ गए क्या - क्या पाए है क्या कुछ छोड़ आए पीछे देखूं मुड़कर या आगे बढूं जरा फिर यूंही किताबो में ही लौट आए ©प्रतिमा कुमार यादव"

 Unsplash ऊंघता हुआ 
यूंही किताबों के बीच 
कुछ खयाल आ गए
क्या  -   क्या पाए है
क्या कुछ छोड़ आए
पीछे देखूं मुड़कर
या आगे बढूं जरा
फिर यूंही
 किताबो में ही लौट आए

©प्रतिमा कुमार यादव

Unsplash ऊंघता हुआ यूंही किताबों के बीच कुछ खयाल आ गए क्या - क्या पाए है क्या कुछ छोड़ आए पीछे देखूं मुड़कर या आगे बढूं जरा फिर यूंही किताबो में ही लौट आए ©प्रतिमा कुमार यादव

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