Balmukund Tripathi

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"एहसास कहाँ होता है" ग़म ए दोस्ती में-ख़याल कहा होता है, मुतमईन है वों-जवाब कहाँ होता है ? भड़कते है वों-जब भड़कता हैं कोई हमारे प्यार का-हिसाब कहाँ होता है ? जो ता उम्र..रिश्ता बना न पाया हो उसे रिश्ते से तुम्हारे..एहतेराम कहाँ होता है? खुद ग़लत फ़हमी में हो हमदम मेरे... अपनी ग़लतियों का एहसास कहाँ होता है ? माना कुछ इल्ज़ाम है हमारे पर भी ऐसी सजा का गुनाहगार कहाँ होता है ? सोचने समझने की असाब चली गई शायद पर तुम्हारे जैसा किरदार कहाँ होता है ? बालमुकुन्द त्रिपाठी ©Balmukund Tripathi

#Mic  "एहसास कहाँ होता है"
ग़म ए दोस्ती में-ख़याल कहा होता है,
मुतमईन है वों-जवाब कहाँ होता है ?
भड़कते है वों-जब भड़कता हैं कोई
हमारे प्यार का-हिसाब कहाँ होता है ?
जो ता उम्र..रिश्ता बना न पाया हो
उसे रिश्ते से तुम्हारे..एहतेराम कहाँ होता है?
खुद ग़लत फ़हमी में हो हमदम मेरे...
अपनी ग़लतियों का एहसास कहाँ होता है ?
माना कुछ इल्ज़ाम है हमारे पर भी 
ऐसी सजा का गुनाहगार कहाँ होता है ? 
सोचने समझने की असाब चली गई शायद
 पर तुम्हारे जैसा किरदार कहाँ होता है ?
              बालमुकुन्द त्रिपाठी

©Balmukund Tripathi

#Mic

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"एहसास कहाँ होता है" ग़म ए दोस्ती में..ख़याल कहा होता है, मुतमईन है वों..जवाब कहाँ होता है ? भड़कते है वों.. जब भड़कता हैं कोई हमारे प्यार का..हिसाब कहाँ होता है ? जो ता उम्र..रिश्ता बना न पाया हो उसे रिश्ते से..एहतेराम कहाँ होता है? खुद ग़लत फ़हमी में हो हमदम मेरे... अपनी ग़लतियों का..एहसास कहाँ होता है ? माना कुछ इल्ज़ाम है..हमारे पर भी ऐसी सजा का गुनहगार कहाँ होता है ? सोचने समझने की असाब चली गई शायद पर तुम्हारे जैसा..किरदार कहाँ होता है ? बालमुकुन्द त्रिपाठी(08/09/2019) ©Balmukund Tripathi

 "एहसास कहाँ होता है"
ग़म ए दोस्ती में..ख़याल कहा होता है,
मुतमईन है वों..जवाब कहाँ होता है ?
भड़कते है वों.. जब भड़कता हैं कोई
हमारे प्यार का..हिसाब कहाँ होता है ?
जो ता उम्र..रिश्ता बना न पाया हो
उसे रिश्ते से..एहतेराम कहाँ होता है?
खुद ग़लत फ़हमी में हो
हमदम मेरे...
अपनी ग़लतियों का..एहसास कहाँ होता है ?
माना कुछ इल्ज़ाम है..हमारे पर भी 
 ऐसी सजा का गुनहगार कहाँ होता है ? 
सोचने समझने की असाब चली गई शायद
 पर तुम्हारे जैसा..किरदार कहाँ होता है ?
              बालमुकुन्द त्रिपाठी(08/09/2019)

©Balmukund Tripathi

#Mic #कहाँ #कह #कविता

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#कविता #काली #कागज #सेना #kavushala

उठकर गिरते गिरकर उठते हुए देखा है ये ज़िंदगी तेरे कर्मों की रेखा है। तन्हाई में तन्हा,समझो नही खुद को, हमने कितनों की किस्मत, बदलते देखा है।। मायूस हो जो खत्म कर लेते हैं ज़िंदगी अपनी। माँ का आँचल पिता की चाहत बिखरते देखा है।। बातों से चोट खाकर, मुस्कुराते है अक्सर बहुतों को दर्द छुपाते देखा है।। देखा है गिट्टियों पर, सोते इंसानों को चैन से कुछ को बिस्तर पर करवटं बदलते देखा है।। दुनियां में खुश कौन है,सबसे ज़्यादा? इस सवाल का जवाब तलाशते मैंने देखा है।। उठकर गिरते गिरकर उठते हुए देखा है।। ये जिंदगी तेरे कर्मों की रेखा है।। (बालमुकुन्द त्रिपाठी) ©Balmukund Tripathi

 उठकर गिरते
गिरकर उठते हुए देखा है
ये ज़िंदगी तेरे कर्मों की रेखा है।
तन्हाई में तन्हा,समझो नही खुद को, 
हमने कितनों की किस्मत,
बदलते देखा है।।
मायूस हो जो खत्म कर लेते हैं
ज़िंदगी अपनी।
माँ का आँचल पिता की चाहत
बिखरते देखा है।।
बातों से चोट खाकर,
मुस्कुराते है अक्सर
बहुतों को दर्द छुपाते देखा है।।
देखा है गिट्टियों पर,
सोते इंसानों को चैन से
कुछ को बिस्तर पर 
करवटं बदलते देखा है।।
दुनियां में खुश कौन है,सबसे ज़्यादा?
इस सवाल का जवाब
 तलाशते मैंने देखा है।।
उठकर गिरते
गिरकर उठते हुए देखा है।।
ये जिंदगी तेरे कर्मों की रेखा है।।
(बालमुकुन्द त्रिपाठी)

©Balmukund Tripathi

#कविता #ज़िन्दगी #Mic

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साथ चलने की कसम खाई भी तो क्या आदमी की नियत बदल जाये भी तो क्या बसंत तो फिर आएगा ही पत्तियां टूटकर बिखर जाएं भी तो क्या जीत-हार ज़िंदगी के दो पहलू हैं सो बस चलता चल तू पावों में छाले पड़ जाएं भी तो क्या ऊंची उड़ान का माद्दा रख लोग न साथ आएं भी तो क्या तरकश में उम्मीद ज़िंदा रख अपने कुछ निशाने चूक जाएं भी तो क्या जो जलेगा वही देगा रौशनी अँधेरे राह में आएं भी तो क्या बसंत तो फिर आएगा ही पत्तियां टूटकर बिखर जाएं भी तो क्या (बालमुकुन्द त्रिपाठी) ©Balmukund Tripathi

#कविता #Mic  साथ चलने की कसम खाई भी तो क्या
आदमी की नियत बदल जाये भी तो क्या
बसंत तो फिर आएगा ही
पत्तियां टूटकर बिखर जाएं भी तो क्या
जीत-हार ज़िंदगी के दो पहलू हैं
सो बस चलता चल तू
पावों में छाले पड़ जाएं भी तो क्या
ऊंची उड़ान का माद्दा रख
लोग न साथ आएं भी तो क्या
तरकश में उम्मीद ज़िंदा रख अपने
कुछ निशाने चूक जाएं भी तो क्या
जो जलेगा वही देगा रौशनी
अँधेरे राह में आएं भी तो क्या
बसंत तो फिर आएगा ही
पत्तियां टूटकर बिखर जाएं भी तो क्या

(बालमुकुन्द त्रिपाठी)

©Balmukund Tripathi

#Mic Neeraj ♛ FᎪᎡᎻᎪN ∶ ᏚᎻᎪᏆKᎻ ✔️

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