Babli Gurjar

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White डूबती शाम को पैगाम दिया तारों ने रात अकेली नहीं हम भी शुमार है बेकारों में भोर में सज धज कर फिर आना सूरज की लाली जब दबे पांव निंदिया जाए पलकों की खोल किवाड़ी बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

#सूर्यास्त #कविता  White डूबती शाम को पैगाम दिया तारों ने 
रात अकेली नहीं हम भी शुमार है बेकारों में 

भोर में सज धज कर फिर आना सूरज की लाली 
जब दबे पांव निंदिया जाए पलकों की खोल किवाड़ी
बबली गुर्जर

©Babli Gurjar

आजकल के एडवांस बच्चे एडवोकेट से कम नहीं मल्टी-टास्किंग तो जैसे बेहद साधारण बात रही बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

#विचार  आजकल के एडवांस बच्चे 
एडवोकेट से कम नहीं 
मल्टी-टास्किंग तो जैसे 
बेहद साधारण बात रही 
बबली गुर्जर

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तमाम उम्र दौड़ते रहे और ना जाने कैसे हार गए जीत का खिताब भी उन्हें मिला जो दौड़े ही नहीं दोष उस भाग्य के माथे मढ़ा जो कभी मिला ही नहीं उस ज़हर के रंग क्या जानो जो तुम्हें मिला ही नहीं बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

#शायरी  तमाम उम्र दौड़ते रहे और ना जाने कैसे हार गए 
जीत का खिताब भी उन्हें मिला जो दौड़े ही नहीं 
दोष उस भाग्य के माथे मढ़ा जो  कभी मिला ही नहीं 
उस ज़हर के  रंग क्या जानो जो तुम्हें मिला ही नहीं 
बबली गुर्जर

©Babli Gurjar

तमाम उम्र दौड़ते रहे और ना जाने कैसे हार गए जीत का खिताब भी उन्हें मिला जो दौड़े ही नहीं दोष उस भाग्य के माथे मढ़ा जो कभी मिला ही नहीं उस ज़हर के रंग क्या जानो जो तुम्हें मिला ही नहीं बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

17 Love

बहुत ही मुश्किल है धूर्त की धृष्टता का पार पाना गहरा भंवर रसातल ले जाएगा मुश्किल है बच पाना क्यों सौंप दूं मैं जीवन अपना किसी अनजान को ह्रदय में भय है पड़ ना जाए घोर पाखंडी से पाला बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

#कविता  बहुत ही मुश्किल है धूर्त की धृष्टता का पार पाना 
गहरा भंवर रसातल ले जाएगा मुश्किल है बच पाना 

क्यों सौंप दूं मैं जीवन अपना किसी अनजान को 
ह्रदय में भय है पड़ ना जाए घोर पाखंडी से पाला
बबली गुर्जर

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@RAMA Goswami @Ashutosh Mishra @Lalit Saxena @Neel वंदना ....

18 Love

प्रेम संबंधों में सावन भादों की घनी हरियाली अब पूस माघ तक आते आते अकड़ने लगती ज्येष्ठ आषाढ़ तक पहुंचते क्रोध में झुलसने लगती फिर सावन के आने तक बूंदों में बिखरकर मिटने लगती बड़ी ही छोटी उम रह गई आपसी सम्मानित स्वाभिमान की बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

#कविता  प्रेम संबंधों में सावन भादों की  घनी हरियाली
अब पूस माघ तक आते आते अकड़ने लगती
ज्येष्ठ आषाढ़ तक पहुंचते क्रोध में झुलसने लगती
फिर सावन के आने तक बूंदों में बिखरकर मिटने लगती
बड़ी ही छोटी उम रह गई आपसी सम्मानित स्वाभिमान की
बबली गुर्जर

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White दो टूक जवाबों का सिलसिला जारी है कच्चे पड़ते रिश्तों में पक्की खींचातानी है जंग जुबानों से बढ़कर हाथापाई तक निकल जाती है उधड़ती बखिया रिश्तों की तुरपाई को तरस जाती है बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

#शायरी #love_qoutes  White दो टूक जवाबों का सिलसिला जारी है 
कच्चे पड़ते रिश्तों में पक्की खींचातानी है 
जंग जुबानों से बढ़कर हाथापाई तक निकल जाती है 
उधड़ती बखिया रिश्तों की तुरपाई को तरस जाती है 
बबली गुर्जर

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