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White डूबती शाम को पैगाम दिया तारों ने रात अकेली नहीं हम भी शुमार है बेकारों में भोर में सज धज कर फिर आना सूरज की लाली जब दबे पांव निंदिया जाए पलकों की खोल किवाड़ी बबली गुर्जर ©Babli Gurjar
Babli Gurjar
19 Love
आजकल के एडवांस बच्चे एडवोकेट से कम नहीं मल्टी-टास्किंग तो जैसे बेहद साधारण बात रही बबली गुर्जर ©Babli Gurjar
15 Love
तमाम उम्र दौड़ते रहे और ना जाने कैसे हार गए जीत का खिताब भी उन्हें मिला जो दौड़े ही नहीं दोष उस भाग्य के माथे मढ़ा जो कभी मिला ही नहीं उस ज़हर के रंग क्या जानो जो तुम्हें मिला ही नहीं बबली गुर्जर ©Babli Gurjar
17 Love
बहुत ही मुश्किल है धूर्त की धृष्टता का पार पाना गहरा भंवर रसातल ले जाएगा मुश्किल है बच पाना क्यों सौंप दूं मैं जीवन अपना किसी अनजान को ह्रदय में भय है पड़ ना जाए घोर पाखंडी से पाला बबली गुर्जर ©Babli Gurjar
18 Love
प्रेम संबंधों में सावन भादों की घनी हरियाली अब पूस माघ तक आते आते अकड़ने लगती ज्येष्ठ आषाढ़ तक पहुंचते क्रोध में झुलसने लगती फिर सावन के आने तक बूंदों में बिखरकर मिटने लगती बड़ी ही छोटी उम रह गई आपसी सम्मानित स्वाभिमान की बबली गुर्जर ©Babli Gurjar
White दो टूक जवाबों का सिलसिला जारी है कच्चे पड़ते रिश्तों में पक्की खींचातानी है जंग जुबानों से बढ़कर हाथापाई तक निकल जाती है उधड़ती बखिया रिश्तों की तुरपाई को तरस जाती है बबली गुर्जर ©Babli Gurjar
12 Love
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