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Alpita MishraSiwan Bihar

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White चलों न एक बार फिर मोहब्बत को जीं लें, वो दौर जो गुजर गया है,उन्हें जीवन्त कर लें। वो इश्क जो कभी चढ़ा था परवान, उसे नये रंगों में रंग ले। ©Alpita MishraSiwan Bihar

#शायरी #love_shayari  White चलों न एक बार फिर  मोहब्बत  को जीं लें,
वो दौर  जो गुजर गया है,उन्हें जीवन्त  कर लें।
वो इश्क जो कभी चढ़ा  था परवान,
उसे नये रंगों में रंग ले।

©Alpita MishraSiwan Bihar

#love_shayari

17 Love

Unsplash अनगिनत पन्ने भरे हैं, अनंत शब्दों के मेल से। भाव व विचारों का कोलाहल, मन और मस्तिष्क के खेल से। लेखनी की मसी से, भावनाओं की पटरी पर चलती शब्दों की रेल सी। शून्य सी शान्त सी तृप्त हुई रचनाओं के नीर से। साहब!मैं खुद को कलमकार मानती हूँ लोग समझे या न समझें, मैं अपनी लेखनी को अपनी जान मानती हूँ। ©Alpita MishraSiwan Bihar

#कविता #snow  Unsplash अनगिनत  पन्ने भरे हैं,
अनंत  शब्दों के मेल से।
भाव व विचारों का कोलाहल, 
मन और मस्तिष्क  के खेल से।
लेखनी की मसी से,
भावनाओं की पटरी पर
चलती शब्दों की रेल सी।
शून्य  सी शान्त  सी 
तृप्त  हुई रचनाओं के नीर से।
साहब!मैं खुद को कलमकार मानती हूँ  
लोग समझे या न समझें,
मैं अपनी लेखनी को अपनी जान मानती हूँ।

©Alpita MishraSiwan Bihar

#snow

20 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मैं निकलना चाहती हू। भोर के अंधेरे में । घर से अकेले। चलना चाहती हूँ। आहिस्ता-आहिस्ता। सुनना चाहती हूँ, पक्षियों के कलरव-गान। महसूस करना चाहती हूँ, खुद को दिया सम्मान। गुजारना चाहती हूँ कुछ-पल , जिनसे बढ़े मेरा आत्म-बल। चाहती हूँ, ठंडी हवा का स्पर्श जिनसे छू हो जाए मन का संघर्ष। कुछ घाव अपनों के दिये होते हैं। जिन्हे हम ताउम्र साथ लिये चलते हैं मन की आस और उम्मीद छोड़, कर्तव्य-पथ पर चलने की होड़। ©Alpita MishraSiwan Bihar

#कविता #SunSet  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मैं निकलना चाहती हू।
भोर के अंधेरे में ।
घर से अकेले।
चलना चाहती हूँ। आहिस्ता-आहिस्ता।
सुनना चाहती हूँ, 
पक्षियों के कलरव-गान।
महसूस  करना चाहती हूँ, 
खुद को दिया सम्मान। 
गुजारना चाहती हूँ  कुछ-पल , जिनसे बढ़े मेरा आत्म-बल।  
चाहती हूँ, ठंडी हवा का स्पर्श 
जिनसे छू हो जाए  मन का संघर्ष।
कुछ  घाव अपनों के दिये होते हैं।
जिन्हे  हम ताउम्र साथ  लिये चलते हैं
मन की आस और उम्मीद  छोड़,
कर्तव्य-पथ पर चलने की होड़।

©Alpita MishraSiwan Bihar

#SunSet

15 Love

White जिम्मेदारी जब समझ आ जाती है। जवाबदेही अपने आप आ जाती है। ©Alpita MishraSiwan Bihar

#विचार #sad_quotes  White जिम्मेदारी जब समझ आ जाती है।
जवाबदेही अपने आप आ जाती है।

©Alpita MishraSiwan Bihar

#sad_quotes

13 Love

White ऐसी रातें सुबह के साथ नहीं आती। ऐसी रातें जाने क्यों इतनी लम्बी हो जाती?ऐसी रातें बड़ी लम्बी होती हैं। बड़ी शान्त और बियाबान होती हैं। पर मन के अंदर तो बहुत शोर है। कण्ठ रुधा है। कभी-कभी मुंह से सिसकी फूट पड़ती है। पर सुनने वाला कोई नहीं। मर्दानगी आज फिर बाजी मार गयी। स्त्रीत्व का आज फिर मान मर्दन हुआ। मर्द बेफिक्र खर्राटे ले रहा। स्त्री करवटें बदल रही। मुंह में कपड़ा ठूंस आँसू बहा रही। फिर प्रभु से अरज कर रही। अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो। फिर .... ©Alpita MishraSiwan Bihar

#कविता #good_night  White ऐसी रातें सुबह  के साथ  नहीं आती।
ऐसी रातें जाने क्यों इतनी लम्बी हो जाती?ऐसी रातें बड़ी लम्बी होती हैं।
बड़ी शान्त और बियाबान  होती हैं।
पर मन के अंदर तो बहुत  शोर  है।
कण्ठ  रुधा  है।
कभी-कभी मुंह  से सिसकी फूट पड़ती है।
पर सुनने वाला कोई  नहीं।
मर्दानगी  आज फिर  बाजी मार  गयी।
स्त्रीत्व  का आज फिर  मान मर्दन  हुआ। 
मर्द बेफिक्र  खर्राटे ले रहा।
स्त्री करवटें बदल रही।
मुंह में कपड़ा ठूंस आँसू  बहा रही।
फिर प्रभु से अरज  कर रही।
अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो।
फिर ....

©Alpita MishraSiwan Bihar

#good_night

16 Love

White यथार्थ ने सिद्धार्थ को महात्मा बुद्ध बनाया। जाने हम किस यथार्थ को ढूंढ रहे। अंतर्मन समझ न पाया। ©Alpita MishraSiwan Bihar

#विचार #good_night  White  यथार्थ  ने सिद्धार्थ  को महात्मा बुद्ध  बनाया।
जाने हम किस यथार्थ  को ढूंढ  रहे।
अंतर्मन  समझ न पाया।

©Alpita MishraSiwan Bihar

#good_night

19 Love

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