Unsplash अनगिनत पन्ने भरे हैं,
अनंत शब्दों के मेल से।
भाव व विचारों का कोलाहल,
मन और मस्तिष्क के खेल से।
लेखनी की मसी से,
भावनाओं की पटरी पर
चलती शब्दों की रेल सी।
शून्य सी शान्त सी
तृप्त हुई रचनाओं के नीर से।
साहब!मैं खुद को कलमकार मानती हूँ
लोग समझे या न समझें,
मैं अपनी लेखनी को अपनी जान मानती हूँ।
©Alpita MishraSiwan Bihar
#snow
वाह सार्थक सारगर्भित सृजन बहन 👍 💯 💯 💯 💯