White ऐसी रातें सुबह के साथ नहीं आती।
ऐसी रातें जाने क्यों इतनी लम्बी हो जाती?ऐसी रातें बड़ी लम्बी होती हैं।
बड़ी शान्त और बियाबान होती हैं।
पर मन के अंदर तो बहुत शोर है।
कण्ठ रुधा है।
कभी-कभी मुंह से सिसकी फूट पड़ती है।
पर सुनने वाला कोई नहीं।
मर्दानगी आज फिर बाजी मार गयी।
स्त्रीत्व का आज फिर मान मर्दन हुआ।
मर्द बेफिक्र खर्राटे ले रहा।
स्त्री करवटें बदल रही।
मुंह में कपड़ा ठूंस आँसू बहा रही।
फिर प्रभु से अरज कर रही।
अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो।
फिर ....
©Alpita MishraSiwan Bihar
#good_night