White 🙏 आत्म प्रक्षालन 🙏
है अज्ञान अवस्था मेरी, भूल सहज हो जाती है।
जाने में अनजाने में, परिणति मलिन हो जाती है।।
प्रियवर आप सुविज्ञ स्वयं हैं, अरु वात्सल्य के धारी हैं,
जिनशासन के प्रेमी हैं, और गुणग्राही अनुरागी हैं।
हाथ जोड़कर विनय भाव से, क्षमा भावना मैं करता।
करें क्षमा प्रदान बन्धुवर, यह मनोज निज हित कहता।।
जिन शासन अमृत पियें, जिनवाणी का ओज।
सारी भूलें क्षमा हों, भावना करे मनोज॥
©Jindeshna
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