सदियों से भारत भूमि को,
हमने माता ही पुकारा है,
दृणता,संयम, ममता, करुणा,
सारा गुण इनसे आया है,
इतिहास के पन्ने-पन्ने में,
भारत को माता कहते है,
यह है नारी की छवि देखो,
जिनको हम अबला कहते हैं।
जो है सादगी की मूरत,
शौर्य जिसकी परिभाषा है,
जिनके होने से जनभर में,
वंशानुक्रम की आशा है,
जिसके कुछ कहने से,
भारत में, महाभारत संग्राम हुआ,
जिसके चुप रहने ,
से रामायण का जन भर में नाम हुआ,
जिसकी शौर्य शक्ति के आगे,
अंग्रेजो के भाल झुके,
जिसकी भक्ति के आगे,
नारायण खुद भी भगवान हुए,
जिसके प्रेम की छाया ,
निर्मल निश्छल बहती रहती है,
जिसकी ममता बच्चों के,
आने वाले दुख हर लेती है,
जिसकी चंचलता घर के आंगन को,
हर पल महकती है,
जिसकी डोली हर आंगन को
सूना-सूना कर जाती है,
जो बांध रही संबंधों को,
उनको रमणी भी कहते है,
यह है नारी की छवि देखो,
जिनको हम अबला कहते है।
©निष्ठा परिहार
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