BETI BACHAO
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जब कोई महिलाओं का पुरुष ख्याल रखता है । उसका किसी काम में हाथ बटा दे । उसके पक्ष से कुछ बोल दे । अक्सर उस पति को ताना सुनना पड़ता है ।पत्निवर्ता है, पत्नी बोलेगी उठ तो उठ बैठ तो बैठ ऐसा वो नहीं ऐसा समाज के लोग सोचते है । अगर यही सारी चीज महिलाएं करे तो उसका कर्तव्य है पति करे तो पत्निवर्ता। कब लोगो का सोच बदलेगा । हम सब एक है एक बेटी भी पेट से जन्म लेती है तो एक बेटा भी, वो पोशाक पहनते है तो वो भी ,वो खाना खाता है तो वो भी खाना खाती है , विद्यायाल जाता है तो वो भी विद्यालय जाती है । सब कुछ एक जैसा फिर प्यार में भेद भाव क्यूं। बहू भी तो बेटी थी और बेटी भी तो संतान ©shreya singh

#girl #SAD  जब कोई महिलाओं का पुरुष ख्याल रखता है । उसका किसी काम में हाथ बटा दे  । उसके पक्ष से कुछ बोल दे । अक्सर उस पति को ताना सुनना पड़ता है ।पत्निवर्ता  है, पत्नी बोलेगी उठ तो उठ बैठ तो बैठ ऐसा वो नहीं ऐसा समाज के लोग सोचते है । अगर यही सारी चीज महिलाएं करे तो उसका कर्तव्य है पति करे तो पत्निवर्ता। कब लोगो का सोच बदलेगा । हम सब एक है एक बेटी भी पेट से जन्म लेती है तो एक बेटा भी, वो पोशाक पहनते है तो वो भी ,वो खाना खाता है तो वो भी खाना खाती है , विद्यायाल जाता है तो वो भी विद्यालय जाती है । सब कुछ एक जैसा फिर प्यार में भेद भाव क्यूं। बहू भी तो बेटी थी और बेटी भी तो संतान

©shreya singh

#girl

12 Love

बेटियों को कोई नहीं समझता यहाँ तक कि उनके घर वाले, उनके माँ बाप भी नहीं। 10/1/24 ⏰10:43 a. m. @ubaidakhatoon✍️ ©Ubaida khatoon Siddiqui

#विचार #Ubaidakhatoon #ubaidawrites #girl  बेटियों को कोई नहीं समझता
यहाँ तक कि उनके घर वाले, 
उनके माँ बाप भी नहीं। 
10/1/24
⏰10:43 a. m. 
@ubaidakhatoon✍️

©Ubaida khatoon Siddiqui
#ज़िन्दगी #girl  अच्छा होता अगर एक गुण वफादारी का भी डाल देती मां अपने बच्चो में...
यों कोई औरत कोस ना रही होती दूसरी औरत को (सास,कोई दूसरी)...
हमेशा क्यों की जाती है
बहू बेटी के संस्कारों को बात
कभी तो समझाओ
बेटों को भी इतनी सी बात
बहू को घूंघट में घोट के रखने वाली
बेटों से भी कहो
तुम्हारी जिन्दगी अब सिर्फ तुम्हारी नहीं
अपना घर परिवार छोड़ के आई है
जरा अदब से रहो तुम
वो तुम्हारे सहारे आई है
उसे यूं ना रुलाओ तुम

©Jyoti Jangra Mandavriya

#girl

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#बेटीकीअभिलाषा  बेटी की अभिलाषा
---------------------
यह सब मुझे अपना बताते हैं 
तारीफों के पुल बांधते हैं 
संस्कारों का ताज पहनाते हैं
 सब अपना अपना हक जताते हैं 
सब अपनी अपनी सुनाते हैं 
अपने मन की कर आते हैं 
और बड़े लाड से पालते हैं 
इसे बेटी का नाम बताते हैं
 बेटी का काम बताते हैं 
और उसे अपना बताते हैं


...
..
अब बस  हक भी दिखाने का मौका तो दो ना
 समाज की जंजीरों को तोड़ो
 मेरे पिजड़े को  खोलो ना 
सूरज के सोने से पहले ,
आपकी ताज के साथ
आ जाऊंगी 
मुझे उडने  का मौका दो ना
 अब मुझे मेरा हक तो दो ना ।।

©.
#कविता #Betiyan  सुख -दुख दोनों पहलुओं के डोर की गांठ होती हैं बेटियां।
सबको ख़ुश रखकर भी ख़ुद रोती हैं बेटियां।
कभी पीहर तो कभी ससुराल की शान बढ़ाती हैं बेटियां,
बाँट मुस्कान लेतीं ग़म बदले में अक्सर,महान बहुत  होती हैं बेटियां।
पापा की परी, मम्मी की दुलारी, भाइयों की मान होती हैं बेटियां!
ससुराल की रौनक तो पति का जहान होती हैं बेटियां।

©Faniyal

#Betiyan

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#कविता  मोहब्बत के इम्तिहान में सफल
 होना सके हम l
तुझ पर ऐतबार कर के.......
 ख़ुद के नज़रों से गिर कर......
आसु बन कर बिखर चुके हैं हम ll

©Rama Goswami

आसु बन कर बिखर चुके

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