शर्म भले गहना हो मेरा,
त्याग मेरा हथियार है,
जो कहते अबला नारी को ,
उनसे मेरा ये सवाल है,
कुंती ने त्याग पुत्र,
यशोदा ने ममता भी त्यागी है,
राधारानी ने त्यागी ,
अपनी वो प्रेम कहानी है,
सीता माँ ने त्यागा रघुकुल,
जिस कुल की वो अधिकारी थी,
संयम, धीरज का पाठ पढ़ाई ,
वो साधारण नारी थी,
इतिहास के पन्ने-पन्ने में,
नारी को पूजा करते है,
यह है नारी की छवि देखो,
जिनको हम अबला कहते है।।
©निष्ठा परिहार
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