Ritu Nisha

Ritu Nisha Lives in Shimla, Himachal Pradesh, India

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Unsplash छोड़ा है परिंदा खुलीं फ़िज़ा में इस उम्मीद से, ढूँढेगा मेरी मुंडेर आख़िर में पुरसुकूँ के लिए। ©Ritu Nisha

#library  Unsplash छोड़ा है परिंदा खुलीं फ़िज़ा में इस उम्मीद से, 
ढूँढेगा मेरी मुंडेर आख़िर में पुरसुकूँ के लिए।

©Ritu Nisha

#library

16 Love

White वो शक़्स मुझसे किनारा करके। चला गया किसी और का सहारा करके। उसने भी सोचा भला बुरा मेरे बारे, हम भी पछताए इश्क़ दोबारा करके। न उसने समझा न वो समझ पाता, की तो थी हमने कोशिश इशारा करके। मेरा शुक्रिया तो बनता है मेरे रक़ीब, जा रही हूँ मेरे शक़्स को तुम्हारा करके। बेहतर तो था अपनी बेकली को जानते, खुश हैं अब नुक़सान हमारा करके। अब न मुझे मैं दिखती हूँ न मेरे आँसू, सब बड़िया है घर में अंधियारा करके। सवालों जवाबों में उलझी पड़ी थी कबसे, सुलझ गई नीयति नसीब गवारा करके। कब बसना भाया है शायरों को निशा, मुक़म्मल रहते है ख़ुद को आवारा करके। ©Ritu Nisha

#love_shayari  White वो शक़्स मुझसे किनारा करके। 
चला गया किसी और का सहारा करके। 

उसने भी सोचा भला बुरा मेरे बारे, 
हम भी पछताए इश्क़ दोबारा करके। 

न उसने समझा न वो समझ पाता, 
की तो थी हमने कोशिश इशारा करके। 

मेरा शुक्रिया तो बनता है मेरे रक़ीब, 
जा रही हूँ मेरे शक़्स को तुम्हारा करके। 

बेहतर तो था अपनी बेकली को जानते, 
खुश हैं अब नुक़सान हमारा करके। 

अब न मुझे मैं दिखती हूँ न मेरे आँसू, 
सब बड़िया है घर में अंधियारा करके। 

सवालों जवाबों में उलझी पड़ी थी कबसे, 
सुलझ गई नीयति नसीब गवारा करके। 

कब बसना भाया है शायरों को निशा, 
मुक़म्मल रहते है ख़ुद को आवारा करके।

©Ritu Nisha

#love_shayari hindi poetry on life

13 Love

White बस आज आख़िरी चोट खानी थी। मुझे ये आख़िरी कसम निभानी थी। मेरा भी दिल माना नहीं तुझे रोकने को, तेरी भी तरफ़ से मनाही ही आनी थी। आज के बाद मैं भी आज़ाद और तू भी, दास्ताँ ए मोहब्बत यहीं तक जानी थी। तेरा अभी तलक किसी का न होना, तेरा मेरे पास होने की निशानी थी। अब तेरे एहसास का किस्सा ख़त्म शुद, के इसने इतनी ही ग़ज़लें लिखानी थी। नए क़िरदार हक़दार कलाकार बने बस, अगरचे कहानी वही थी जो पुरानी थी। बहरहाल अच्छा है तेरा मुझसे दूर जाना, तेरा मेरे साथ रहना भी एक परेशानी थी। जिन हाथों की लकीरों में तू कभी न था, अफ़सोस उन्हीं में तेरी निगेहबानी थी। खैर तू अब चला गया है तो क्या ही कहें, वगरना नाराज़गीयाँ हमें भी गिनानी थी। फ़क़त सफ़र ही अजीब लगा मुझे निशा, अंज़ाम की तो शक़्ल जानी पहचानी थी। ©Ritu Nisha

#GoodMorning  White बस आज आख़िरी चोट खानी थी। 
मुझे ये आख़िरी कसम निभानी थी। 

मेरा भी दिल माना नहीं तुझे रोकने को, 
तेरी भी तरफ़ से मनाही ही आनी थी।

आज के बाद मैं भी आज़ाद और तू भी, 
दास्ताँ ए मोहब्बत यहीं तक जानी थी। 

तेरा अभी तलक किसी का न होना, 
तेरा मेरे पास होने की निशानी थी। 

अब तेरे एहसास का किस्सा ख़त्म शुद, 
के इसने इतनी ही ग़ज़लें लिखानी थी। 

नए क़िरदार हक़दार कलाकार बने बस, 
अगरचे कहानी वही थी जो पुरानी थी। 

बहरहाल अच्छा है तेरा मुझसे दूर जाना, 
तेरा मेरे साथ रहना भी एक परेशानी थी। 

जिन हाथों की लकीरों में तू कभी न था, 
अफ़सोस उन्हीं में तेरी निगेहबानी थी। 

खैर तू अब चला गया है तो क्या ही कहें, 
वगरना नाराज़गीयाँ हमें भी गिनानी थी। 

फ़क़त सफ़र ही अजीब लगा मुझे निशा, 
अंज़ाम की तो शक़्ल जानी पहचानी थी।

©Ritu Nisha

#GoodMorning sad shayari

11 Love

Unsplash एक चमन मेरे आँगन में भी खिलता। क्या खूब था अगर मुझे तू मिलता। काश हो जाती मोहब्बत हमें तुझसे, हमारा भी दिल आसे पासे हिलता। आता तो ले जाता कहीं मुझे तुझमें, ख़ुदपरस्ती से मेरा हाथ ज़रा ढीलता। अब फ़क़त नाम ज़माना ज़िम्मेदारियाँ है, तू होता तो मेरा कुछ किरदार छिलता। हमे डर न था फ़िर दिल के टूटने वूटने से, इश्क़ का दर्ज़ी पैबंद बड़े बड़े सिलता। फ़िर निशा भी क्या खूब लिखा करती, जो दिल इश्क़ के मसाइलों में झिलता। ©Ritu Nisha

#library #SAD  Unsplash एक चमन मेरे आँगन में भी खिलता। 
क्या खूब था अगर मुझे तू मिलता। 

काश हो जाती मोहब्बत हमें तुझसे, 
हमारा भी दिल आसे पासे हिलता। 

आता तो ले जाता कहीं मुझे तुझमें, 
ख़ुदपरस्ती से मेरा हाथ ज़रा ढीलता। 

अब फ़क़त नाम ज़माना ज़िम्मेदारियाँ है, 
तू होता तो मेरा कुछ किरदार छिलता। 

हमे डर न था फ़िर दिल के टूटने वूटने से, 
इश्क़ का दर्ज़ी पैबंद बड़े बड़े सिलता। 

फ़िर निशा भी क्या खूब लिखा करती, 
जो दिल इश्क़ के मसाइलों में झिलता।

©Ritu Nisha

#library

10 Love

उसे उसकी राह पर जाने देते है। चलो उसे ग़म मनाने देते है। घुट घुट कर कहीं मर न जाए अंदर, कुछ रोने के उसे बहाने देते है। पता तो है उसके दिल का हाल सारा, मुँह पर जो वो चाहे दिखाने देते है। लगा है ख़ुद को आज़माने में सताने में, रेत का घर गिरा रहा है गिराने देते है। यूँ नहीं के उसके मअसलों से गर्ज़ न हो, छुपाना चाहता है तो छुपाने देते है। एक ग़म के पीछे तमाम लुटना चाहता है, ये खुशी है उसकी तो लुटाने देते है। लाज़िम तो नहीं वो कुछ फ़ूट बैठे निशा, पर आए जो दर पर तो आने देते है। ©Ritu Nisha

#sad_quotes  उसे उसकी राह पर जाने देते है। 
चलो उसे ग़म मनाने देते है। 

घुट घुट कर कहीं मर न जाए अंदर, 
कुछ रोने के उसे बहाने देते है। 

पता तो है उसके दिल का हाल सारा, 
मुँह पर जो वो चाहे दिखाने देते है। 

लगा है ख़ुद को आज़माने में सताने में, 
रेत का घर गिरा रहा है गिराने देते है। 

यूँ नहीं के उसके मअसलों से गर्ज़ न हो, 
छुपाना चाहता है तो छुपाने देते है।

एक ग़म के पीछे तमाम लुटना चाहता है, 
ये खुशी है उसकी तो लुटाने देते है। 

लाज़िम तो नहीं वो कुछ फ़ूट बैठे निशा, 
पर आए जो दर पर तो आने देते है।

©Ritu Nisha

#sad_quotes

11 Love

कश्मकश कोई तमन्ना इतनी हावी कैसे हो सकती है मुझे सारा का सारा कैसे ले सकती है मेरी सूझ बूझ कहाँ है मेरा वज़ूद कहाँ है ये कैसा वेग है जो मुझे लिए जा रहा है मैं कहाँ हूँ मुझे कौन चुरा रहा है ये कैसी धुन है जो मेरे सर पर सवार है ये खुमारी किसका कारोबार है मेरी सुबह कहाँ है मेरी शब कहाँ है मेरा पल कहाँ है मेरा पहर कहाँ है मैं किसके लिए जी रही हूँ मैं क्या पी रही हूँ ये ग़म किसका है ये ख़ुशी किसकी है क्या शक़्ल है जो मुझे बार बार दिखती है ये कैसी नियती है ये कैसा नसीब है ये कौन है जो मेरे इतने करीब है ये वक़्त किसका है ये दौर किसका है ये किसकी साजिश है ये किसिकी तरक़ीब है मैं किसकी रक़ीब हूँ वो किसका हबीब है मुझमें इतनी लापरवाही कैसे हो सकती है मेरी बेख़ुदी कैसे खो सकती है ये मैंने किसका होश सम्भाला है मेरी आँखों में किसने क्या डाला है मेरे सवालों के जवाब किसके पास है मुझे किसका इंतज़ार है मुझे किसकी आस है मेरा दिल आए रोज़ क्यों हताश है बुझती क्यों नहीं जो ये प्यास है ये ज़मीं पर कौन लेटा है ये मैं हूँ या कोई लाश है। ©Ritu Nisha

#sad_quotes  कश्मकश

कोई तमन्ना इतनी हावी कैसे हो सकती है
मुझे सारा का सारा कैसे ले सकती है
मेरी सूझ बूझ कहाँ है
मेरा वज़ूद कहाँ है
ये कैसा वेग है जो मुझे लिए जा रहा है
मैं कहाँ हूँ मुझे कौन चुरा रहा है
ये कैसी धुन है जो मेरे सर पर सवार है
ये खुमारी किसका कारोबार है
मेरी सुबह कहाँ है मेरी शब कहाँ है
मेरा पल कहाँ है मेरा पहर कहाँ है
मैं किसके लिए जी रही हूँ
मैं क्या पी रही हूँ
ये ग़म किसका है ये ख़ुशी किसकी है
क्या शक़्ल है जो मुझे बार बार दिखती है
ये कैसी नियती है ये कैसा नसीब है
ये कौन है जो मेरे इतने करीब है
ये वक़्त किसका है 
ये दौर किसका है
ये किसकी साजिश है ये किसिकी तरक़ीब है
मैं किसकी रक़ीब हूँ वो किसका हबीब है
मुझमें इतनी लापरवाही कैसे हो सकती है
मेरी बेख़ुदी कैसे खो सकती है
ये मैंने किसका होश सम्भाला है
मेरी आँखों में किसने क्या डाला है
मेरे सवालों के जवाब किसके पास है
मुझे किसका इंतज़ार है मुझे किसकी आस है
मेरा दिल आए रोज़ क्यों हताश है
बुझती क्यों नहीं जो ये प्यास है
ये ज़मीं पर कौन लेटा है
ये मैं हूँ या कोई लाश है।

©Ritu Nisha

#sad_quotes love poetry for her

11 Love

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