White बस आज आख़िरी चोट खानी थी।
मुझे ये आख़िरी कसम निभानी थी।
मेरा भी दिल माना नहीं तुझे रोकने को,
तेरी भी तरफ़ से मनाही ही आनी थी।
आज के बाद मैं भी आज़ाद और तू भी,
दास्ताँ ए मोहब्बत यहीं तक जानी थी।
तेरा अभी तलक किसी का न होना,
तेरा मेरे पास होने की निशानी थी।
अब तेरे एहसास का किस्सा ख़त्म शुद,
के इसने इतनी ही ग़ज़लें लिखानी थी।
नए क़िरदार हक़दार कलाकार बने बस,
अगरचे कहानी वही थी जो पुरानी थी।
बहरहाल अच्छा है तेरा मुझसे दूर जाना,
तेरा मेरे साथ रहना भी एक परेशानी थी।
जिन हाथों की लकीरों में तू कभी न था,
अफ़सोस उन्हीं में तेरी निगेहबानी थी।
खैर तू अब चला गया है तो क्या ही कहें,
वगरना नाराज़गीयाँ हमें भी गिनानी थी।
फ़क़त सफ़र ही अजीब लगा मुझे निशा,
अंज़ाम की तो शक़्ल जानी पहचानी थी।
©Ritu Nisha
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